Hot Posts

99/recent/ticker-posts

शोध का अर्थ एवं परिभाषा अनुसंधान का अर्थ एवं परिभाषा PDF शोध का महत्व शोध के प्रकार PDF शोध का अर्थ in English शोध के प्रकार महत्व एवं उद्देश्य शोध विधि क्या है शोध की आवश्यकता एवं महत्व

 

 


शोध का अर्थ एवं परिभाषा

अनुसंधान का अर्थ एवं परिभाषा PDF

शोध का महत्व

शोध के प्रकार PDF

शोध का अर्थ in English

शोध के प्रकार महत्व एवं उद्देश्य

शोध विधि क्या है

शोध की आवश्यकता एवं महत्व


शोध  या अनुसंधान अवधारणा का अर्थ एवं परिभाषा - 


व्‍यक्ति अपने चारों तरफ में उपस्थित वातावरण में कुछ न कुछ समझने के प्रयास में लगा रहता है । इसी तरह के समझने या खोज को शोध या अनुसंधान  कहते है । व्‍यक्ति अपने आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने के लिए कुछ न कुछ खोज करता रहता है। शोध या अनुसंधान से उपस्थित समंकों के आधार पर हि व्‍यक्ति सामाजिक,  या आर्थिक और व्‍यावसाय के  व‍िषयों के आधार पर व‍िवेक के रूप में निर्णय लिया जाता है। 


 शोध या अनुसंधान की परिभाषा


डा. सुरेन्‍द्रसिन्‍ह के शब्‍दों के अनुसार  - शोध शब्‍द का उत्‍पत्‍तीय या उत्‍पत्ति का अर्थ है  कि बार - बार  खोजने से सम्‍बंधित  है । आंग्‍ल भाषा का शब्‍द Research (रिसर्च) यह शब्‍द भी  दो शब्‍दों  से बना हुआ है । प्रथम शब्‍द (Re) रि जिसका  अर्थ  होता है बार - बार या पुन :   एवं Search का अर्थ होता है खोजना या खोज जाने  वाला । 


दि न्‍यू सेंचुरी डिक्‍शनरी के अनुसार - शोध का अर्थ होता है  कि व्‍यक्ति या किसी भी वस्‍तु के विषय में सावधानी के साथ खोज करना और तथ्‍यों अथवा सिद्धांतों का अन्‍वेंषण करने के लिए विषय सामग्री की  नियमित  रूप से सावधानी के साथ पूछताछ एवं पड्ताल  करना है।


अर्नस्‍ट ग्रीनवुड के अनुसार - शोध की परिभाषा ज्ञान की  खोज में प्रमाणीकृत कार्य रीतियों के प्रयोग किया जाता हैै।   


अनुसंधान या शोध के उद्देश्‍य - 

 1) सैद्धांतिक उद्देश्‍य 

 2) व्‍यावहारिक उद्देश्‍य 


1) सैद्धांतिक उद्देश्‍य - 

 

1) ज्ञान प्राप्‍त करना - सामाजिक उद्देश्‍य  का प्रथम सैद्धांतिक उद्देश्‍य सामाजिक  जीवन मे हो रहे  घटनओं, तथ्‍यों ,  इसके साथ हो रहे  समस्‍याओं के सम्‍बंध में शोधकर्ता को  ज्ञान  प्राप्‍त होता  है। शोधकर्ता नय एवं प्राचीन दोनों  तथ्‍यों के  विषयों के बारे में ज्ञान प्राप्‍त करता है। 


2) प्रकार्यात्‍मक सम्‍बन्‍धों में  ज्ञान प्राप्‍त -  सामाज में हो रहे घटनाओं एवं तथ्‍यों में अपने अपने कार्य के आधार में  प्रकार्यात्‍मक संबन्‍ध होता है। सामाजिक जीवन में नियमित रूप में प्रकार्यात्‍म संबंध बने रहते है। जैसे  - किसी भी  घटनाओं को तभी हि समझ पाते है जब‍ कि उसके निष्‍कर्ष तक पहुच नहीं जाता  है। 


3)स्‍वाभाविक  नियामें को ढूँढ निकालना  - प्राकृतिक घटनाओं एवं  सामाजिक घटनओं के आधार  पर स्‍वाभाविक नियमों द्वारा व  नियमिक रूप  से  संचालित होती है। इन  नियमों का पालन करना और नियमित रूप से  संचालित  करने के  लिए पता लगाना  या ढूँढना सामाजिक अनुसंधान का सैद्धांतिक विज्ञान की  प्रगति सम्‍भव हो सकेगी  ।  


4) वैज्ञानिक अवधारणाओं  का  निर्माण - सामाजिक अनुसंधान का एक सैद्धांतिक उद्देश्‍य के आधार पर अवधारणाओं का प्रमाणीकरण करना है । ऐसा  होने पर  सामाजिक विज्ञान का प्र‍गति संभव हो जाता है। 

 2) व्‍यावहारिक उद्देश्‍य 

1) सामाजिक समस्‍याओं को सुलझाने में सहायता करना - सामाजिक अनुसंधान के द्वारा प्राप्‍त  ज्ञान के आधार  पर वर्तमान समय  के   समाज की समस्‍याओं के  समाधान ढूँढना । जिससे समाज की समस्‍याओं का निदान  हो सके  । जैसे - समाज सुधार , नेता, प्रशासन  आदि की जटिल  समस्‍याअें को सरलता पूर्वक निदान  करना। 


2) सामाजिक संघर्षों  की  स्थिति  को  दूर करना -  सामाजिक अनुसंधान से प्राप्‍त ज्ञान के आधार पर  पाये जाने वाले कमी  या समस्‍याओं के  उचित तरीके से निदान को  ढूँढना होता है। 


3) सामाजिक योजनाओं को  बनाने में सहायक होना - सामाजिक अनुसंधान से प्राप्‍त ज्ञान को सामाजिक सुधार के लिए योजनाओं को पुन: निर्माण  करना जिससे लोगों  की  समस्‍यओं को दूर किया जा सके और इसे वैज्ञानिक आधार से  योजनाओं को  संचालित करना और जिससे  आर्थिक,  सामाजिक   आदि की  समस्‍या को दूर करना । 




 

 

 शोध के क्षेेत्र Shodh-ke-kshetra

सामाजिक शोध  कि प्रकृति या क्षेत्र निम्‍नलिखित द्वारा  स्‍पष्‍ट किया जाता है - 

    1) सामाजिक तथ्‍यों व प्रक्रियाओं का व्‍याख्‍या करना -  सामाजिक अनुसंधान  में  मनुष्‍य के व्‍यवहार केे बारे अध्‍ययन किया जाता है। समाज में रह रहे सदस्‍यों, समूहों,  घटनओ, क्रियाओं  एवं अंंत: क्रियाओं को विश्‍लेषण किया जाता हे।  

    2)  नवीन तथ्‍यों की खोज करना  - सामाजिक सम्‍बंधाेे में नवीन तथ्‍यों की खोज करना जिससे सामाजिक संरचना एवं सामाजिक संगठन  को  ठीक प्रकार  से  समझा जा सके और इसका स्‍पष्‍टीकरण में  सहायता प्रदान  कर सके ।   

    3)प्रकृति एवं कारणों का अध्‍ययन करना - सामाजिक अनुसंधान में समाज में हो रहे घटनाओं एवं समस्‍याओं की प्रकृति एवं कारणों का पता लगाना ।  

    4) प्राचीन तथ्‍यों में सुधार करना -  नवीन तथ्‍यों तथा सिद्धांत के साथ निर्माण के साथ- साथ का उद्देश्‍य प्राचीन उपलब्‍ध तथ्‍यों में परीक्षण करना और उनमें सुधार करना ।  

    5) वैज्ञानिक प्रद्धति  का प्रयोग  करना - सामाजिक नियमोंं एवं सिद्धांतों के निर्माण के  करना इसके साथ हि विश्‍वसनीय एवं प्रमाणीकरण होना चाहिए जिससे तथ्‍यों  का संकलन किया जा सके और निष्‍पक्ष व्‍याख्‍या किया जा सके ।   

    सांख्यिकीय विश्‍लेषण का  प्रयोग करना - सामाजिक एवं आर्थिक शोध में  सांख्यिकीय की प्रविधियोंका  प्रयोग किया  जाता है। जिसमें घटनों एवं चरों  विभिन्‍न प्रकार के सह  सम्‍बध के प्रयोगो के साथ निष्‍कर्ष  किया  जाता है। 

 

 

 

 

 

 

   

 शोध के क्षेेत्र Shodh-ke-kshetra

सामाजिक शोध  कि प्रकृति या क्षेत्र निम्‍नलिखित द्वारा  स्‍पष्‍ट किया जाता है - 

    1) सामाजिक तथ्‍यों व प्रक्रियाओं का व्‍याख्‍या करना -  सामाजिक अनुसंधान  में  मनुष्‍य के व्‍यवहार केे बारे अध्‍ययन किया जाता है। समाज में रह रहे सदस्‍यों, समूहों,  घटनओ, क्रियाओं  एवं अंंत: क्रियाओं को विश्‍लेषण किया जाता हे।  

    2)  नवीन तथ्‍यों की खोज करना  - सामाजिक सम्‍बंधाेे में नवीन तथ्‍यों की खोज करना जिससे सामाजिक संरचना एवं सामाजिक संगठन  को  ठीक प्रकार  से  समझा जा सके और इसका स्‍पष्‍टीकरण में  सहायता प्रदान  कर सके ।   

    3)प्रकृति एवं कारणों का अध्‍ययन करना - सामाजिक अनुसंधान में समाज में हो रहे घटनाओं एवं समस्‍याओं की प्रकृति एवं कारणों का पता लगाना ।  

    4) प्राचीन तथ्‍यों में सुधार करना -  नवीन तथ्‍यों तथा सिद्धांत के साथ निर्माण के साथ- साथ का उद्देश्‍य प्राचीन उपलब्‍ध तथ्‍यों में परीक्षण करना और उनमें सुधार करना ।  

    5) वैज्ञानिक प्रद्धति  का प्रयोग  करना - सामाजिक नियमोंं एवं सिद्धांतों के निर्माण के  करना इसके साथ हि विश्‍वसनीय एवं प्रमाणीकरण होना चाहिए जिससे तथ्‍यों  का संकलन किया जा सके और निष्‍पक्ष व्‍याख्‍या किया जा सके ।   

    सांख्यिकीय विश्‍लेषण का  प्रयोग करना - सामाजिक एवं आर्थिक शोध में  सांख्यिकीय की प्रविधियोंका  प्रयोग किया  जाता है। जिसमें घटनों एवं चरों  विभिन्‍न प्रकार के सह  सम्‍बध के प्रयोगो के साथ निष्‍कर्ष  किया  जाता है। 

 

 

 

 

 अनुसंधान  की व‍िधियॉ shodh-ki-vidhiyan

अनुसंधान या  शोध की व‍िधियॉं निम्‍नलिखित है - 

    1) गुणात्‍मक व‍िधि - सामाजिक क्षेेत्र में हो रहे घटनाओं के गुणों का अध्‍ययन करने केे लिए इसी प्रणाली का प्रयोग करतेे है । यह लोगों  की भावनाओं, मत,  व‍िचारों , प्र‍वृतियों , आदर्शों की खोज इसी प्रणाली  द्वारा की जाती है। 


    2) गणनात्‍मक पद्धति - इस पद्धति में किसी  भी घटनाओं केे तथ्‍यों को मात्रात्‍मक अथवा संख्‍यात्‍मक द्वारा माप किया जाता है। यदि ऐसा करना कठिन होता है तो सांख्यिकीय प्रणाली का प्रयोग करते है।  


    3) क्षेत्रीय अध्‍ययन पद्धति - इस पद्धति में शोधकर्ता  को स्‍वयं उपस्थित होकर अवलोकन करता है कि उस क्षेत्र में हो रहे सामाजिक घटनाओं के तथ्‍यों को जानना एवं एकत्रित करता है।   


    4) सर्वेक्षण‍ व‍िधि - इस प्रणाली मेंं शोधकर्ता स्‍वतंत्र होता है और अभियंत्रित दशाओं में तथ्‍यों का संकलन करता है। 

    5) तुलनात्‍मक व‍िधि -  समाज  के व‍िभिन्‍न समुदायों, समूहो ,की परस्‍तपर  एक दूसरे की  तुलना करके ज्ञान को प्राप्‍त करने की पद्धति को  तुलनात्‍मक व‍िधि भी कहते है। यह सामाजिक व सांस्‍कृृतिक, मानवशास्‍त्र, समाज व‍िज्ञान में इसी प्रणाली का प्रयोग किया जाता है।