प्राचीन भारतीय आर्थिक विचारधारा की मुख्य विशेषता क्या थी?
प्राचीन अर्थव्यवस्था की विशेषताएं क्या हैं?
भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषता क्या है?
प्राचीन भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार क्या था?
प्राचीन भारतीय अर्थशास्त्रीय के विचारों की प्रमुख विशेषताऍं
1) अर्थ को कोई महत्व न देना - भारत में अर्थ को साध्य न मान कर एक साधन माना गया है प्राचीनकाल के विचारक इसी संयोग के कारण हि अर्थशास्त्र को एक अलग विषय नहीं मानते थे । अर्थशास्त्र का अध्ययन धर्म, नीति, कानून, राजनीति आदि के विषयों के साथ किया जाता था।
2) भोग पर नहीं त्याग का महत्व - व्यक्ति को सदैव आदर्श त्याग होना चाहिए न कि भोग में होना चाहिए ऐसा प्राचीन काल केे विचारकों दृष्टि में था। जीवन के लक्ष्य भोग को नहीं बताया गया है। व्यक्ति के आवश्यकताओ की बढने को सभी के द्वारा बुरा माना गया है।
3) आदर्शात्मक अर्थशास्त्र - प्राचीन भारतीय आर्थिक चिन्तन वैज्ञानिक न होकर नैतिक एवं व्यावहारिक अर्थात आदर्शात्मक है। जैैैसे- अर्थ के प्रति हमारा कैसा दृष्टिकोण होगा, अर्थव्यवस्था कैसी होनी चाहिए और समाज का स्वरूप कैसा होगा इत्यादि पर अधिक चिन्तन किया जाता है।
4) कल्याणकारी राज्य की स्थापना - कल्याणकारी राज्य के लिये प्राचीन विचारकों ने ज्यादा बल दिया था । क्योकि जनता की आर्थिक सम्पन्नता का दायित्व केवल राज्य पर होता है। और राजा का कर्तव्य होता है कि कानून की व्यवस्था को बनाये रखे जिससे सभी लोगों को लाभ और आर्थिक सम्पन्नता को नियमित रूप से बनाये रखे ।
5) शोषण का विरोध करना - शोषण और आर्थिक असमानता को भारतीय विचारकों के अनुसार सही नहीं है । दान, उदारता, दयालु आदि विचारों को यहॉं हमेशा प्रदान किया गया है।
6) वैचारिक समानता - भारतीय विचारकोंं के सिद्धान्तों और आदर्शों में कोई मौलिक अन्तर नहीं है । यहॉं पर भौतिक की अपेक्षा अध्यात्मिक की जयादा महत्व दिया जाता है।
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