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द्वितीयक समंकों का स्रोत है द्वितीयक आँकड़ों का स्रोत क्या है?

द्वितीयक आंकड़ों के स्रोत कौन कौन से हैं विस्तार से समझाइए?
द्वितीय सामान क्या है?
प्राथमिक और द्वितीयक समंक में क्या अंतर है?
अप्रकाशित स्रोत कौन कौन से हैं?
प्राथमिक समंक के स्रोत
द्वितीयक समंकों का स्रोत है
द्वितीयक आंकड़ों के पांच स्रोत बताइए
द्वितीयक स्रोत
प्राथमिक समंक एवं द्वितीयक समंक में कोई चार अंतर लिखिए
द्वितीयक आंकड़ों के उदाहरण
द्वितीयक समंक का स्रोत क्या है?
द्वितीयक आँकड़ों का स्रोत क्या है?
प्राथमिक और द्वितीयक समंक क्या है?


 द्वितीय समंकों के प्रमुख स्‍त्रोत - 
द्वितीय समंकों के प्रमुख स्‍त्रोत निम्‍नलिखित है- 


1) भारतीय जनगणना करना - जनगणना का अर्थ है - कि किसी प्रदेश में रहने वाले लोगों के सम्‍बन्‍ध निश्‍चत समय पर सरकार द्वारा एक साथ जनसंख्‍या को एकत्रित करना । इस जनगणना के आधार पर हम देश की जनसंख्‍या का प्रवृति, व्‍यावायिक संरचना, नगरीकरण, प्रवासिता का अध्‍ययन कर सकते है। 

भारत देश में जनगणना का कार्य सन 1881 से शुरू हो गया तथा प्रत्‍येक 10 वर्ष के अन्‍तराल  पर जनगणना की जाती है। भारत सरकार के महा पंजीयक एवं जनगणना आयुक्‍त कार्यालय की स्‍थापना सन  1949  में हुई और जनगणना का कार्य इसे दे दिया गया । 


2) राष्‍ट्रीय न्‍यादर्श सर्वेक्षण संगठन NSSO -  वित्त मंत्रालय में NSSO की स्‍थापना सन 1950 में की गई तथा इस संगठन को मन्त्रिमण्‍डलीय सचिवालय के द्वारा स्‍थानान्तिरित कर दिया गया । NSSO संगठन का प्रमुख उद्देश्‍य राष्‍ट्रीय आय की गणना, आयोजन तथा नीति निर्धारण के लिए आँकडें को एकत्रित करना । 


NSSO का अध्‍यक्ष प्रधान अधिकारी होता है। इसके चार प्रमुख विभाग होते है- 

1- सर्वेक्षण डिजायन एवं अनुसन्‍धान विभाग 

2- क्षे‍त्रीय कार्य विभाग 

3- आँकड़ा संयोजन करना तथा

4- समन्‍वय एवं प्रकाश विभाग । 


ये संगठन समाज की आर्थिक सर्वेक्षण का कार्य करती है- यह कार्य पूर्व निर्धारित 10 वर्ष  कार्यक्रम के अनुसार चलता है। इसके अन्‍तर्गत - 

1- जनसांख्यिकी, स्‍वास्‍थ्‍य ओर परिवार कल्‍याण 

2- सम्‍पत्ति ऋण तथा देयताऍं 

3- दस वर्ष मेें एक बार जोत तथा पशुपालन उद्योग 

4- रोजगार , ग्रामीण श्रमिक और उपभोक्‍ता व्‍यय 

5- प्रत्‍येक पॉंच साल बाद कृषि क्षेत्र के अलावा अन्‍य क्षेत्र में असंगठित उद्योगों के 

  सर्वेक्षण का कार्य किया जाता है। 


3) भारतीय रिजर्व बैंक -  बैंकिंग क्रिया - कलापों से सम्‍बन्धित समंकों के विश्‍लेषण के लिए सन 1945 में एक अनुसन्‍धान विभाग की भारतीय रिजर्व बैंक में स्‍थापना की  गयी । यह विभाग भुगतान संन्‍तुलन समंकों को भी रखता है। यह विभाग देश की आन्‍तरिक तथा बाह्य आर्थिक स्थिति के विषय में में अपना मुल्‍यांकन भी प्रतिवेदन के रूप में प्रस्‍तुत करना है। तथा मासिक आ‍धार पर रिजर्व बैंकक का बुलेटिन प्रकाशित करता है। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट तथा रिपोर्ट ऑंन करेन्‍सी एण्‍ड  फाइनेन्‍स प्रकाशित करना है यह रिपोट अप्रैल से मार्च तक के आधार पर प्रस्‍तुत की जाती है। इसके अतिरिक्‍त बैंक वर्ष में एक बार वार्षिक रिपोर्ट तथा भारत में बैंकिग की प्रवृति एवं प्रगति सम्‍बन्‍धी रिपोर्ट भी प्रकाशित करता है।  वार्षिक रिपोर्ट में आर्थिक समीक्षा  जैसे - आर्थिक नीति का माहौल, अर्थव्‍यवस्‍था की स्थिति , मुद्रा ऋण व मूल्‍य , सरकारी वित्‍त वित्‍तीय बाजार बाह्रा क्षेत्र इत्‍यादि ।