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वायु परिवहन का महत्व, वायु परिवहन का विकास। वायु परिवहन की समस्या। वायु परिवहन की समस्या का निराकरण

Vayu parivahan ka mahatva

वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण कब किया गया लिखिए 
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वायु परिवहन का व‍िकास

भारत में वायु परिवहन का व‍िकास सन 1927 में प्रारम्‍भ हुआ जबकि नागरिक व‍िमान - परिवहन व‍िभाग की स्‍थापना की गयी। परिणामस्‍वरूप देश में हवाई अड्डे् बनाये गये, 
 उडान क्लब स्थापित किये गये तथा प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी। द्वितीय विश्व युद्ध में वायु परिवहन का और विकास हुआ। सन् 1948 में सरकार ने अपनी विमान परिवहन नीति की घोषणा की। जिसके द्वारा सन् 1950 में सरकार ने वायु परिवहन जाँच समिति नियुक्त की। इस समिति ने वायु परिवहन के राष्ट्रीयकरण के स्थान पर युक्तीकरण की सिफारिश की। सन् 1953 में सरकार ने वायु परिवहन निगम अधिनियम पारित किया जिसके अन्तर्गत इण्डियन एयरलाइन्स कॉरपोरेशन आन्तरिक वायु सेवा के लिए तथा एयर इण्डिया इण्टरनेशनल विदेशी वायु सेवा के लिए स्थापित की गयी। 1 मार्च, 1994 को इस अधिनियम को समाप्त कर दिया गया। इस प्रकार राष्ट्रीयकरण को समाप्त कर दिया गया। सन् 1994 में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इण्डिया एक्ट पारित किया गया।। अप्रैल, - 1995 से यह अस्तित्व में आ गया।

है।

स्वतन्त्रता के पश्चात् वायु परिवहन में बहुत प्रगति हुई है। सन् 1947 में वायु परिवहन के द्वारा 3-1 लाख यात्रियों ने सफर किया तथा 4.6 लाख टन माल ढोया। इनकी मात्रा बढ़कर 2013-14 में क्रमश: 716 लाख यात्री तथा 518 हजार टन माल हो गयी। सन् 1990 में निजी क्षेत्र में एयर टैक्सी सेवा प्रारम्भ की गयी। वर्तमान में निजी एयर टैक्सी

के पास 31 एयरक्राफ्ट हैं। 2006-07 में एयर इण्डिया के पास 35 विमान थे, जबकि इण्डियन एयरलाइन्स के पास 59 विमान थे। इस समय वायु परिवहन कम्पनियाँ सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों में कार्य कर रही हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में भारतीय राष्ट्रीय विमान कम्पनी लिमिटेड (NACIL), स्थिर इण्डिया चार्टर्स लिमिटेड और एलायंस एयरलाइंस कम्पनियाँ हैं। इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्र में आठ निर्धारित एयरलाइंस हैं। NACIL (वर्तमान में एअर इण्डिया लिमिटेड) के पास 2014-15 में 101 विमान थे तथा इसमें 118.8 लाख यात्रियों ने सफर किया। 15 अक्टूबर, 1985 को पवन हंस की एक निगम के रूप में स्थापना की गयी। इसका प्रमुख कार्य तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग को तेल सम्बन्धी खोज के लिए हैलीकॉप्टर उपलब्ध कराना है।

भारत में विमानतलों (Airports) के प्रबन्ध, विकास एवं वायु यातायात सेवाएँ प्रदान करने का कार्य भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण (AAI) को सौंपा गया है। यह 23 आवासीय परिसर सहित 115 विमानतलों का प्रबन्धन करता है। इसके अतिरिक्त ।। अन्य विमानतलों पर सौ. एन. एस., ए. टी. एम. सुविधाएँ प्रदान करता है।
  

वायु परिवहन का महत्‍व -


1) तेज रफतार -  वायु परिवहन की रफतार अन्‍य परिवहन के अपेक्षाकृृत अधिक होती है तथा यह परिवहन धरती की बाधाओं से प्रभावित नहीं होता है। अत: यात्री व सामान को अपने तय किये हुए स्‍थान पर जल्‍द ही पहुचा जाते है। 

2) कृषि क्षेत्र में महत्‍व - वायुयानों द्वारा कृषि फसलों पर कीटनाशक दवाओं का छिडकाओं करके खेत की फसलों की रक्षा करने में सहायता करता है। 
 
3) सैैैनिक दृष्टि से महत्‍व - सुरक्षा की दृष्टि से सेना व सैन्‍य सामग्री को वायुवायु परिवहन के माध्‍यम से तय किये हुए स्‍थान पर जल्‍द से जल्‍द भेजा जा सकता है। युद्ध के समय शत्रु के देश पर आक्रमण करने में वायु परिवहन की अहम भूमिका होती है। 

4) अकाल व बाढ में सहायता - अकाल या बाढ के समय में प्रभा‍व‍ित होने पर, भोजन व अन्‍य सामग्री पहुँचाने व वहॉं पर फसे  हुऍं लोगों  को निकालनेे में वायु परिवहन का व‍िशेष महत्‍व होता है। 
5) पर्यटन में सहायक - वायु  परिवहन  के माध्‍यम से पर्यटकों को एक स्‍थान  से दूसरे स्‍थान  पर शीघ्र पहुचा दिया जाता है।  
6) सर्वेक्षण में सहायक - भौगोलिक, आर्थिक एवं संकट के समय सर्वेक्षण करने में वायु परिवहन  बहुत सहायक होता है। 
 

वायु परिवहन की समस्‍या- 


1) महँँगा साधन - वायु परिवहन सभी परिवहनों से महँगा साधन है। इस साधन का लाभ केवल सम्‍पन्‍न वर्ग के लोग हि इसका लाभ उठा सकतेे है। 

2) प्रतियोगिता - वायु परिवहन में निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र में कडी प्रतियोगि़ता है जिसके कारण इनके लाभ कम हो रहे है। अन्‍तर्राष्‍ट्रीय कम्‍पनियों से भी प्रतियोगिता का सामना करना पड़ता है। 

3) क्षतिपूर्ति - वायु परिवहन में दूर्घटनाऍं  तथा अपहरण जैसे बहुत समस्‍या है जिसमें भारी जान- माल की हानि होती है। और भारी राशि क्षतिपूर्ति के रूप में देनी पड़ती है। 

4) वायुयान निर्माण - भारत वायु परिवहन के लिए पर्याप्‍त व‍िमन बनाने की  स्थिति में अभी नहीं है । इसके लिए व‍िदेशों से मदद लेनी पड़ती है। जिसमें की बड़ी मात्रा में व‍िदेशी मुद्रा व्‍यय होती है। 

5) संघर्ष- कर्मचारियों व प्रबन्‍धकों के बीच अपनी मॉंगे मनवाने के लिए समय- समय पर संघर्ष होते रहते है। जिसके परिणाम स्‍वरूप हड़ताले एवं तालाबन्‍दी हो जाती है, जिसका उड़ाने व लाभों में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।  

वायु परिवहन की समस्‍याओं का निराकरण -
 
1) आधुुुुुुुनिकीकरण - सरकार व‍िमानों एवं हवाई अड्डों के निमाण हेतु उचित व्‍यवस्‍था करे । इसी के साथ व‍िमानों का आधुनिकीकरण किया जाय ताकि व‍िदेशी परिवहन सेवाओं से प्रतियोगिता की जा सके । 

2) निजीकरण - वायुपरिवहन में निजीकरण को प्रोत्‍साहन दिया जाए । भारत में इस दिशा में  कुछ प्रयास मार्च, सन 1994 से प्रारम्‍भ किये गये है। 

3) प्रशासनिक कुशलता एवं प्रशिक्षण - वायुयानों केे संचालन हेतु प्रशासनिक कुशलता पर पर्याप्‍त ध्‍यान दिया जाये। वायुयान चालकोंं व कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण दिया जाय। 

4) हड़तालों पर रोक - वायु परिवहन में कर्मचारियों व प्रबन्‍धकों की हड़ताल को रोकने के लिए उचित नियम बनाये जायें तथा प्रभावकारी कदम उठाये जाये। 

5) न्‍यायसंगत किराया- प्रतियोगिता एवं परिचालन लागतों को ध्‍यान में रखते हुए किराये की दरें न्‍यायसंगत निर्धारित की जाये।