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उपयोगिता ह्रास नियम का अर्थ, परिभाषा , सीमाऍं /मान्‍यताऍं, महत्‍व, लागू होने के कारण , उदाहरण एवं चित्र सह‍ित व्‍याख्‍या

 

उपयोगिता ह्रास नियम का अर्थ, परिभाषा , सीमाऍं /मान्‍यताऍं, महत्‍व, लागू होने के कारण , उदाहरण एवं चित्र सह‍ित व्‍याख्‍या





  1. उपयोगिता ह्रास नियम से आप क्या समझते हैं?
  1. हासमान सीमान्त उपयोगिता नियम की परिभाषा एवं व्याख्या कीजिए यह नियम क्यों कार्यशील होता है?
  1. उपयोगिता का मतलब क्या होता है?
  1. उपयोगिता ह्रास नियम के अपवाद क्या है?
  1. उपयोगिता ह्रास नियम की व्याख्या कीजिए
  1. सीमांत उपयोगिता हास नियम की व्याख्या कीजिए
  1. सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम का महत्व
  1. ह्रासमान सीमांत उपयोगिता का नियम
  1. उपयोगिता ह्रास नियम की मान्यताएं
  1. उपयोगिता हास नियम के अपवाद
  1. घटती हुई सीमांत उपयोगिता का नियम समझाइए


उपयोगिता ह्रास नियम का अर्थ, परिभाषा , सीमाऍं /मान्‍यताऍं, महत्‍व, लागू होने के कारण , उदाहरण एवं चित्र सह‍ित व्‍याख्‍या 

11. 01, 2024

उपयोगिता ह्रास नियम का अर्थ

जब उपभोक्‍ता को किसी वस्‍तु की पहली इकाई प्राप्‍त होती है तो उससे मिलने वाली उपयोगिता काफी अधिक होती है, क्‍योकि प्रारम्‍भ में सभी आवश्‍यकता काफी तीव्रता से मिलती है, परन्‍तु जैसे- जैसे उपभोक्‍ता उस वस्‍तु की एक से ज्‍यादा इकाईयों का उपभोग करता है तो वैसे- वैसे उस वस्‍तु की उत्‍तरोत्‍तर की इकाइयों से मिलने वाली उपयोगिता घटती जाती है। 

उदाहरण - जब कोई व्‍यक्ति को भूख लगने पर पहली रोटी का उपभोग करता है तो ज्‍यादा उपयोगिता मिलती है क्‍योकि उसे प्रारम्‍भ रोटी ज्‍यादा आवश्‍यता होती है लेकिन जैसे - जैसे एक से अधिक रोटीयों का उपभोग करता है तो वैसे - वैसे रोटी की उपयोगिता घटती जाती है । 


उपयोगिता ह्रास नियम की परिभाषा - 

प्रो. मार्शल के अनुसार - किसी मनुष्‍य के पास किसी वस्‍तु की मात्रा में वृद्धि होने से जो उसे अतिरिक्‍त लाभ प्राप्‍त होता है, और अन्‍य बातें समान रहने पर, वह वस्‍तुत की मात्रा में होने वाली प्रत्‍येक वृद्धि घटता जाता है। 

उपयोगिता ह्रास नियम की मान्‍यताएँ या सीमाएँ -

1. उपभोग करने वाली वस्‍तु की प्रत्‍येक इकाईयो का गुण तथा आकार में समान होनी चाहिऍं ।

2. उपभोग की जाने वाली वस्‍तु की इकाइयों का आकार उपयुक्‍त होना चाहिए वस्‍तु की आकार ज्‍यादा छोटा नहीं होना चाहिए । 

3. वस्‍तु की दो इकाइयों के उपभोग करने के माध्‍य में कोई समयावधि नहीं होनी चाहिए । अर्थात वस्‍तु का उपभोग करने की प्रवृत्ति लगातार होनी चाहिए । 

4. उपभोग की जाने वाली वस्‍तु तथा उसकी स्‍थान पर कोई स्‍थानापन्‍न वस्‍तुओं के मूल्‍य में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए । 

5. उपभोक्‍ता की मानसिक स्थिति में कोई भी परिवर्तन नहीं होना चाहिए । 

6. उपभोक्‍ता की रूचि, आदत, फैशन, आय व स्‍वभाव में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए ।

7. आवश्‍यकता एक ही होनी चाहिए । 


उपयोगिता ह्रास नियम लागू हाने के कारण  -

प्रो. बोल्डिंग ने उपयोगिता ह्रास नियम के लागू होने के दो कारण निम्‍नलिखित है- 

1. किसी आवश्‍कता व‍िशेष की सन्‍तुष्टि करना सम्‍भव है- यदि मानव की आवश्‍यकताए असीमित हैं, परन्‍तु मानव किसी आवश्‍यकता व‍िशेष को अवश्‍य सन्‍तुष्टि किया जा सकता है । मानव की वस्‍तु व‍िशेष को उपभोग करने की क्षमता सीमित होती है। वह जैसे-जैसे किसी वस्‍तु की इकाईयों का उपभोग करता जाता है, वैसे -वैसे उस वस्‍तु से मिलने वाली उपयोगिता कम होती जाती है । अन्‍त में एक बिन्‍दु ऐसी आती है जहा पर वह पूर्ण रूप से संन्‍तुष्टि प्राप्‍त होती है। 

2.  वस्‍तुऍं एक - दूसरे की पूर्ण  स्‍थानापन्‍न नहीं होती हैं - एक वस्‍तु , दूसरी वस्‍तु की पूर्ण स्‍थानापन्‍न नहीं होती है अर्थात व‍िभिन्‍न वस्‍तुओं का एक सही अनुपात में ही उपयोग किया जाता है। 

उदाहरण - रोटी तथा मक्‍खन का एक निश्चित अनुपात में ही उपभोग किया जा सकता है। यदि रोटी की मात्रा को स्थिर रखकर मक्‍खन की मात्रा को बढाते चले जाये तो मक्‍खन की उत्‍तरोत्‍तर इकाइयों से घटती हुई सीमान्‍त उपयोगिता प्राप्‍त होगी, क्‍योंकि रोटी तथा मक्‍खन एक दूसरे के स्‍थानापन्‍न पूर्ण रूप से नहीं है। 

उपयोगिता ह्रास नियम के अपवाद


उपयोगिता ह्रास नियम की कुछ आलोचनाएँ एवं अपवाद कहे जाते हैं जो कि निम्न प्रकार हैं-


(1) वस्तु की उपभोग इकाइयाँ बहुत छोटी होने पर यह नियम लागू नहीं होता है- जैसे-प्यासे व्यक्ति को बूंद-बूंद करके पानी पिलाने पर उसकी सीमान्त उपयोगिता बढ़ती जाती है, परन्तु यह अपवाद सही नहीं है। हम पहले ही यह मानकर चलते हैं कि उपभोग इकाइयों का आकार उपयुक्त होना चाहिए।


(2) दुर्लभ तथा शान-शौकत की वस्तुओं पर यह नियम लागू नहीं होता है-परन्तु यह बात सही नहीं है एक ही वस्तु की अधिक इकाइयों के प्रयोग से उपयोगिता अवश्य घटेगी।


(3) शराब के उपभोग के सम्बन्ध में यह नियम लागू नहीं होता है- यह अपवाद भी ठीक नहीं है। शराब पीने पर मानसिक दशा सामान्य न होने के कारण ऐसा हो सकता है। फिर एक सीमा के बाद तो शराब की सीमान्त उपयोगिता घटेगी और अन्त में ऋणात्मक हो जायेगी।


(4) मुद्रा के संचय के सम्बन्ध में यह नियम लागू नहीं होता है-जैसे-जैसे व्यक्ति के पास धन आता है वह उसे और अधिक प्राप्त करना चाहता है। परन्तु ध्यान रहे, मुद्रा से विभिन्न वस्तुएँ खरीदी जा सकती हैं जबकि नियम की मान्यता है कि आवश्यकता एक ही होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त एक सीमा के पश्चात् मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता भी घटती है।


(5) मधुर कविता अथवा गीत को बार-बार सुनने पर उसकी उपयोगिता बढ़ती जाती है- सुन्दर कविता को बार-बार सुनने पर उपयोगिता घटने के बजाय बढ़ती जाती है, परन्तु यह अपवाद भी ठीक नहीं है। एक सीमा के पश्चात् उसकी उपयोगिता भी घटने लगती है।


अतः निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि वास्तव में सीमान्त उपयोगिता हास नियम का कोई भी अपवाद नहीं है। जो अपवाद दिये गये हैं वह इसकी मान्यताओं को न समझने के कारण हैं। प्रत्येक वस्तु का उपभोग करने पर एक सीमा ऐसी अवश्य आती है जब उनकी सीमान्त उपयोगिता घटने लगती है।


उपयोगिता ह्रास नियम का महत्‍व

 (1) यह नियम माँग के नियम की व्याख्या करता है अर्थात हमें बताता है कि यां वक दायीं ओर क्यों गिरता हुआ होता है-जब एक उपभोक्ता किसी की मात्रा का प्रयोग करता है तो उसके लिए उस वस्तु सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है। इसी उपभोक्ता उस वस्तु की अधिक मात्रा क्रय करने के लिए कम कीमत देना चाहता है। दूसरो श में, वस्तु की कीमत कम होने पर ही उपभोक्ता उस वस्तु की अधिक माँग करेगा।


(2) सम-सीमान्त उपयोगिता नियम भी इसी नियम पर आधारित है वस्तु की उपभोग की जाने वाली उ इकाइयों की उपयोगिता घटते जाने के उपभोक्ता एक ही वस्तु पर अपने व्यवको न बाकर विभिन्न वस्तुओं पर इस प्रका आंबंटित करता है कि व्यय की सभी मर्ने से सम-सीमान्त उपयोगिता प्राप्त हो।


(3) उपभोक्ता की बचत का सिद्धान्त भी उपयोगिता ह्रास नियम पर आधारित है- उपभोक्ता प्रारम्भ में जब किसी वस्तु की प्रथम इकाई क्रय करता है तो उस इकाई से मिलने वाली उपयोगिता उस वस्तु की चुकाई गई कीमत से अधिक होती है। परन्तु जब उपभोक्ता उस वस्तु को उत्तरोत्तर इकाइयों का क्रय करता जाता है, तो एक ऐसी स्थिति आ जा है कि वस्तु की सीमान्त इकाई की उपयोगिता उसकी चुकाई गई कीमत के ठीक बराबर हो जात है। अतः इस सीमान्त इकाई पर उपभोक्ता को कोई बचत प्राप्त नहीं होती है, परन्तु इसके पूर्व की सारी इकाइयों पर उपभोक्ता को बचत प्राप्त होती है।


(4) इस नियम के कारण ही विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन होता है-


उपभोक्ता किसी वस्तु की सीमान्त उपयोगिता घटते जाने के कारण ही एक सीमा के पश्चात् उम वस्तु का उपभोग बन्द करके अन्य वस्तुओं की माँग करता है। अतः उत्पादक उस वस्तु के और अधिक उत्पादन के स्थान पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन करता है।

(5) यह नियम विनिमय मूल्य तथा प्रयोग मूल्य के अन्तर को स्पष्ट करता है-कुछ वस्तुओं, जैसे-हवा, पानी, सूर्य की रोशनी इत्यादि की पूर्ति उपभोक्ता के लिए असीमित होने के कारण उनकी सीमान्त उपयोगिता बहुत कम अथवा शून्य होगी। इसलिए इन वस्तुओं का प्रयोग मूल्य (या उपयोगिता) अधिक होते हुए भी इनका विनिमय मूल्य (या कीमत) बहुत कम या शून्य होता है।


(6) यह नियम आधुनिक कर प्रणाली का आधार है-प्रगतिशील कर प्रणाली उपयोगिता हास नियम पर ही आधारित है, क्योंकि मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता धन अधिक होने के कारण धनी व्यक्तियों के लिए निर्धन व्यक्तियों की अपेक्षा बहुत कम होती है। इसलिए सरकार अमीर व्यक्तियों पर गरीबों की अपेक्षा अधिक ऊँची दर से कर लगाती है।