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सीमांत उपयोगिता का अर्थ, परिभाषा, महत्व
09. 01, 2024
सीमान्त उपयोगिता का अर्थ -
सीमान्त उपयोगिता उस अतिरिक्त सन्तुष्टि को बताती है जो कि उपभोक्ता को वस्तु की एक अतरिक्त इकाई का उपभोग करने से प्राप्त होती है।
उदाहरण - जब किसी की एक इकाई का उपभोग करने पर यदि कुल उपयोगिता 40 है और दूसरी इकाई का उपभोग करने पर कुल उपयोगिता बढ़कर 70 हो जाती है तो दूसरी (एक अतिरिक्त) इकाई की सीमान्त उपयोगिता 70 - 40 =30 होगी ।
सीमात उपयोगिता किसे कहते है-
उपभोक्ता जब एक अतिरिक्त इकाई (सीमान्त इकाई) के उपभोग प्राप्त होने वाली उपयोगिता को सीमांत उपयोगिता कहते है।
सीमान्त उपयोगिता की परिभाषा
प्रो. बोल्डिंग के शब्दो के अनुसार - एक वस्तु की किसी मात्रा की सीमान्त उपयोगिता कुल उपयोगिता में होने वाली वह वृद्धि है जोे उपभोग में एक इकाई बढ़ने के परिणामस्वरूप प्राप्त होती है।
सीमान्त उपयोगिता का महत्व
1. उपभोग के सभी नियम सीमानत उपयोगिता विश्लेषण पर आधारित हैं - उपयोग क्षेत्र के सभी प्रमुख नियम जैसे - सीमान्त ह्रास नियम, मॉंग का नियम, उपभोक्ता की बचत आदि पर आधारित हैं। वास्तव में सीमान्त उपयोगिता विश्लेषण के बिना इन नियमों का प्रतिपादन करना सम्भव नहीं था।
2. सीमान्त उपयोगिता मूल्य को निर्धारित करने वाला महत्वपूर्ण तत्व है- एक उपभोक्ता किसी वस्तु के लिए कितनी कीमत दे सकता है इसका निर्धारित सीमान्त उपयोगिता पर निर्भर करता है। उपभोक्ता किसी वस्तु को तब तक खरीदता है जब तक कि वस्तु की सीमान्त उपयोगिता घटकर उसके लिए दी जाने वाली कीमत के बराबर नहीं हो जाती है।
3. वितरण के क्षेत्र में सीमानत उपयोगिता विश्लेषण का विशेष महत्व है- सीमान्त उत्पादकता सिद्धांत के अनुसार उत्पत्ति के सभी साधन को मिलने वाला पारितोषण उसकी सीमान्त उत्पादकता के बराबर होता है और साधन की सीमान्त उत्पादकता, उत्पादक के लिए उसकी सीमान्त उपयोगिता को बताती है।
4. राजस्व के क्षेत्र में महत्व - सीमान्त उपयोगिता विश्लेषण राजस्व के सभी क्षेत्र, जैसे - सार्वजनिक व्यय, सार्वजनिक आय इत्यादि में विशेष प्रकार के महत्व रखता है।
सीमान्त उपयोगिता का उदाहरण एवं चित्र सहित समझाइए -
उपर्युक्त चित्र में स्पष्ट हे कि सेब की इकाइयों का उपभोग करने पर प्रारम्भ में कुल उपयोगिता बढ़ती जाती है, परन्तु यह वृद्धि घटती दर से होती है । पॉंचवी इकाई पर पहुँचकर इसकी वृद्धि रूक जाती है । इस बिन्दु पर कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तथा सीमान्त उपयोगिता शून्य होती है। इसे पूर्ण तृप्ति का बिन्दु कहतेे है। इस इकाई के पश्चात अर्थात छठी इकाई पर कुल उपयोगिता घटने लगती है तथा सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक हो जाती है।
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