nayi aarthik neeti ki mukhy visheshatayen kya hain?
aarthik neeti se aapake kya taatpary hain?
nayi audyogik neeti ki visheshata kya thi?
aarthik neeti ka mukhya uddeshy kya hai?
नई आर्थिक नीति की विशेषताए
आर्थिक सुधार कार्यक्रमों की मुख्यत: तीन प्रकार की विशेषता है -
1. अर्थव्यवस्था का उदारीकरण
2. वेश्वीकरण
3. निजीकरण
ये तीनों विशेषता वास्तव एक दूसरे के पूरक होती है इसके बारे में नीचे विस्तारपूर्वक जानेंगे ।
1 उदारीकरण
उदारीकरण का अर्थ - इसका अर्थ यह है कि सरकार के माध्यम से अर्थव्यवस्था में भौतिक नियमनों व नियंत्रणों में ढील देने से होता है । जब सरकार के द्वारा नीति, आयात-निर्यात नीति, औद्योगिक नीति, श्रम नीति, वाणिज्य नीति आदि के माध्यम से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश, उत्पादन, विपणन इत्यादि से अपने नियंत्रणों को हटाती है तो उसे उदारवादी नीति कहा जाता है। इस नीति को बाजार शक्तियॉं स्वतन्त्र रूप से कार्य को करती है।
उदारीकरण के उपाय
सरकार के द्वारा सन 1991 में इस आर्थिक नीति के सुधार कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आर्थिक स्थितिकरण तथा संरचनात्मक सुधार लाकर अर्थव्यवस्था को अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्द्धात्मक एवं आत्मनिर्भर बनाना है।
भारत में उदारीकरण के लिए किये गये उपाय निम्नलिखित है-
1. रूपये का अवमूल्यन करना - विदेशी अदायगियों की क्षमता को बढाना, भारत से पूँजी के बाह्य प्रवाह को रोकना तथा गैर कानूनी माध्यमों से विदेशें में प्रेषणाओं को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से रिजर्व बैंक ने 1 व 3 जुलाई सन् 1991 को दो चरणों में प्रमुख मुद्राओं की तुलना में रूपये का मूल्य 20 प्रतिशत कम कर दिया गया।
2. रूपये की पूर्ण परिवर्तनीयता-
नियन्त्रित विनिमय दर प्रणाली से उत्पन्न विदेशी मुद्रा की काला बाजारी (हवाला बाजार) की इस समस्या से निपटने हेतु सरकार ने 1992-93 के बजट में उदारीकरण विनिमय दर प्रबन्ध प्रणाली प्रारम्भ की और इसके अन्तर्गत रूपया आंशिक रूप से परिवर्तनीय कर दिया गया। 1993-94 के बजट में सरकार ने रूपये को पूर्ण परिवर्तनीय बनाकर एकल विनिमय दर प्रणाली प्रारम्भ की। इसके पश्चात् 1994-95 के बदर में सरकार ने भुगतान सन्तुलन के चालू खाते में रुपये को पूर्ण परिवर्तनीय कर दिया।
(3) औद्योगिक नीति प्रस्ताव-24 जुलाई, सन् 1991 को सरकार ने नई औद्योगिक भौति की घोषणा की। इन नीति में 18 रोगों को छोड़कर शेष उद्योगों को लाइसेंस मुक्त प्रमुख उद्योगों को कर दिया गया। 15 अप्रैल, सन् 1993 को इन उद्योगों की संख्या 18 से घटाकर 15 कर दी गयी। वर्तमान में यह संख्या 5 है। इस नीति में सार्वजनिक क्षेत्रों के लिए आरक्षित उद्योगों की संख्या हो 17 से घटाकर 6 कर दिया गया। वर्तमान में केवल तीन श्रेणी के उद्योग आरक्षित हैं। यह है- (1) परमाणु ऊर्जा, (ii) भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग की अधिसूचना में दर्शाई गई वस्तुएँ,
तथा (iii) रेल परिवहन। (4) विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम ('फेरा'- FERA) में संशोधन-सरकार ने 8 जनवरी, सन् 1993 को एक अध्यादेश जारी करके 'फेरा' में संशोधन कर दिये हैं। इन संशोधन के अनुसार भारतीय कम्पनियों को विदेशों में संयुक्त उद्यम स्थापित करने की अनुमति प्रदान कर दी गयी। इस अधिनियम की लगभग एक दर्जन ऐसी धाराओं को समाप्त कर दिया गया है जिनकी प्रासंगिकता समाप्त हो चुकी है।
(5) विदेशी निवेश व विदेशी प्रौद्योगिकी विनियमों में सुधार- औद्योगिक नीति सन् 1991 में ही उच्च प्राथमिकता प्राप्त उद्योगों में विदेशी इक्विटी की अधिकतम सीमा को 40 प्रतिशत से बाकर 51 से 100 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी के साथ उच्च प्रौद्योगिकी तथा भारो विनियोग प्राथमिकता वाले उद्योगों को विनिर्दिष्ट सूची के लिए फर्मों को कुछ मार्गदर्शी सिद्धान्तें के अन्तर्गत विदेशी प्रौद्योगिक करार करने की स्वतः अनुमति प्राप्त हो गयी।
(6) आयात-निर्यात नीति-उदारीकरण को नोति के अन्तर्गत सरकार ने आठवीं पंचवर्षीय योजना के लिए एक नई आयात-निर्यात नीति की घोषणा की। इस नीति का प्रमुख उद्देश्य व्यापार में न्यूनतम प्रतिबन्ध, अधिक स्वतन्त्रता एवं कम से कम प्रशासनिक नियन्त्रण सुनिश्चित करना था। आठवीं, नीं एवं दसवीं योजना के लिए घोषित आयात-निर्यात नीति में सरकार ने आयात एवं निर्यात की निषिद्ध सूचियों में बड़ी मात्रा में कटौती कर दी है। अब वस्तुओं व सेवाओं का स्वतन्त्रतापूर्वक आयात-निर्यात करना सम्भव हो गया है। सरकार की नई आयात-निर्यात नीति (2009-14) की प्रमुख विशेषताएँ हैं- (1) 2 फीसदी कर में आर्थिक छूट, (ii) जीरो ड्यूटी ईपीसीजों स्कीम लागू करना, (iii) श्रम-प्रधान क्षेत्र में निवेश संवर्द्धन हेतु 2 प्रतिशत कर में छूट, (iv) इनक्रीमेण्टल निर्यातों को प्रोत्साहन, (v) कृषि क्षेत्र के लिए आधारिक संरचनाओं को सहायता, (iv) ग्रीन तकनीक उत्पादों के निर्यात में सहायता, (vii) बाजार व उत्पाद को बहुरूपीय तरीके से विकसित करना तथा (viii) बाजार के वर्गीकरण और उत्पादों की अदला-बदली में सेवा मुक्त आयात को स्थापित करने के उद्देश्य से डोजोएफटी द्वारा 'ई-ईनिसेयेटिव' को प्रारम्भ किया गया।
(7) विदेशी संस्थागत निवेशकों को भारतीय पूँजी बाजार में विनियोग की छूट- अधिक से अधिक विदेशी पूँजी निवेश को भारत में आकर्षित करने के लिए सरकार ने विदेशो संस्थागत निवेशकों को भारतीय पूँजी बाजार में प्रत्यक्ष विनियोग करने की छूट प्रदान कर दो है। ये विनियोगकर्ता अब सभी प्रकार की प्रतिभूतियों में विनियोग कर सकेंगे। परन्तु ऐसा करने से पूर्व इन्हें भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के अन्तर्गत पंजीकरण कराना होता है तथा 'फेरा' के अन्तर्गत भारतीय रिजर्व बैंक की अनुमति प्राप्त करनी होती है।
(8) कर बाँचे में सुधार सरकार ने अपने गत वर्षों के बजट में सीमा शुल्कों तथा अत्पाद शुल्कों में व्यापक राहत की घोषणा की है व कर दाँचे को अधिक विवेकीकृत किया है। प्रत्यक्ष करों में भी सरकार ने अनेक राहतों की घोषणा की है।
भारत में अपनायी गयी उदारीकरण की नीति के परिणामस्वरूप देश में विदेशी पूँजी विनियोगों की संख्या तथा मात्रा में अत्यधिक वृद्धि हो गयी। हवाला बाजार की गतिविधियों पर वियन्त्रण लग गया है। विदेशी विनिमय कोषों में भारी वृद्धि हो गयी। परन्तु इस नीति की यह उपलब्धियाँ दीर्घकाल तक प्राप्त होती रहें तथा देश का तेजी से आर्थिक विकास हो तभी इस नीति को उचित कहा जा सकता है। उदारीकरण से आयातों में ही नहीं निर्यातों में भी वृद्धि होनी चाहिए।
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