मुद्रा बाजार क्या है और इसके प्रकार?
mudra bazar kya hai or iske prakar?
मुद्रा बाजार (Money Market) मनी मार्केट क्या है in Hindi?
मुद्रा बाजार एक ऐसी वित्तीय संस्था होती है, जो लाभ जमा करने साथ-साथ उच्च तरलता तथा सुरक्षा (High liquidity and safety) बचतकर्ताओं की भावनाओं का निर्वाह करती है और ऋणों व अधिमों के रूप में व्यापार तथा उद्योगों के लिए मुख्य रूप कार्यशील पूँजी उपलब्ध कराती है। और मुद्रा बाजार निवेश योग्य कोषों के लिए माँग तथा पूर्ति से सम्बन्ध रखते हैं तथा इसके साथ एक वर्ष या इससे कम समय में परिपक्व होने वाले कम समय के लिए ऋण-प्रपत्रों के साथ जल्दी और विश्वास के साथ स्थानान्तरण की सुविधा प्रदान करती हैं।
मुद्रा बाजार को सरल शब्दों में क्या कहते हैं?
मुद्रा बाजार जो है वह एक बाजार नहीं, बल्कि उन अलग -अलग रूपों और संस्थाओं को दिया गया एक सामूहिक नाम है, जो निकट मुद्रा का विभिन्न तरह से लेन-देन किया करते हैं। इस प्रकार से मुद्रा बाजार में माँग और सूचना बाजार, वाणिज्यिक बिल और वाणिज्यिक कागज बाजार, राजकोषीय बिल बाजार तथा अन्तर बैंक बाजार एवं जमा प्रमाण-पत्र बाजार आदि में सम्मिलित होते हैं।
मुद्रा बाजार का कार्य mudra bajaar ka karya
- मुद्रा बाजार व्यवसाय के साथ एवं उपक्रमों को कार्यशील पूँजी की जरूरतों के लिए कम समय ऋृण उपलब्ध कराता है।
- मुद्रा बाजार बैंकों तथ अन्य वित्तीय संस्थाओं को कम समय के लिए अपनी ज्यादा से ज्याद ऋृण को लाभकारी उपयोग का अवसर उपलब्ध कराता है।
- विकसित मुद्रा बाजार के कारण केन्द्रीय बैंक से वाणिज्यिक बैंकों द्वारा उधार लेने की जरूरत नहीं होती है।
- मुद्रा बाजार जो होती है वह सरकार को खजाना बिलों के आधार पर कम से कम ब्याज दर पर कम समय के लिए ऋृणों को उधार लेने में सहायता करता है।
- विकसित मुद्रा बाजार होती है वह केन्द्रीय बैंक की मौद्रिक नीतियों को सफलतापूर्वक लागू करने में सहायता करता है।
- एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में निधियों/ ऋृणों को स्थानान्तरण को सहज बनाकर मुद्रा बाजार वित्तीय गतिशीलता में सहायक होता है।
- मुद्रा बाजार बचत व निवेश को प्रोत्साहित करके वित्तीय सम्पत्तियों की तरलता एवं सुरक्षा में वृद्धि करता है।
मुद्रा बाजार के प्रकार mudra bajaar ke prakar
संगठित मुद्रा बाजार क्या है sangathit mudra bazar kya hai
संगठित मुद्रा जो होता है वह बाजार सरकारी नियमों के माध्यमों से नियन्त्रित नियमित एवं व्यवस्थित होता है, जो एक बाजार से दूसरे बाजार को धन या ऋृण को स्थानान्तरण करने के लिए । सहज और सस्ती प्रेषण सुविधाएँ उपलब्ध करता है। संगठित मुद्रा बाजार में केन्द्रीय बैंक, वाणिज्यिक बैंक, बीमा कम्पनियों, कटौती गृह, बचत बैंक, निवेश गृह, प्रोविडेण्ट फण्ड, स्वीकृत-गृह, म्यूचुअल फण्ड व अन्य वितीय निगम आदि सम्मिलित होते हैं। संगठित मुद्रा बाजार में एकीकृत ब्याज दर ढाँचा होता है। जिसमें संगठित मुद्रा बाजार में ऋण देने की प्रक्रियाओं एवं लेखांकन में पारदर्शिता होती है।
असंगठित मुद्रा बाजार क्या है? asangathit mudra bazar kya hai?
ज्यादातर अल्पविकसित देशों में मुद्रा बाजार प्रायः असंगठित होते हैं। असंगठित मुद्रा बाजार में मुद्रा उधारदाता, देशी बैंकर, व्यापारी, साहूकार, महाजन, मर्वेण्ट, भू-स्वामी, बन्धक, दलाल आदि सभी सम्मिलित होते हैं, जिनमें से परस्पर कोई सम्बन्ध नहीं होता है। असंगठित मुद्रा बाजार में ब्याज दरें हमेशा अधिक होती है तथा ब्याज दरें उधार लेने वालों की जरूरतों, ऋण की राशि, ऋण की अवधि एवं जमानत की प्रकृति पर निर्भर करती हैं। असंगठित मुद्रा बाजार में ऋण देने की प्रक्रियाओं एवं लेखांकन में बहुत गोपनीयता होती है। असंगठित मुद्रा बाजार अनियन्त्रित होने के कारण स्वतन्त्र रूप से कार्य करता है। इससे बचतों व मौद्रिक लेन-देन का परिमाण कम होता है, जो उत्पादक निवेशों के उपयोग में बाधक होता है।
मुद्रा बाजार के घटक mudra bajaar ke ghatak
केन्द्रीय बैंक | kendriya bank
यह बैंक देश का केन्द्रीय बैंक वह धुरी है, जिसके चारों ओर सम्पूर्ण मुद्रा बाजार चक्कर लगाता है। केन्द्रीय बैंक मुद्रा बाजार के संरक्षक के रूप में कार्य करता है और अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिरता बनाए रखने के लिए साख व मुद्रा की पूर्ति को कम या अधिक करता रहता है, किन्तु प्रत्यक्ष व्यवहारों में स्वयं सम्मिलित नहीं होता है।
वाणिज्यिक बैंक |vaanijyik bank
यह एक ऐसा वाणिज्यिक बैंक भी कम समय के लिए ऋणों में व्यवहार करते हैं, जिससे वे व्यवसाय और व्यापार को उधार देते हैं। वाणिज्यिक बैंक विनिमय बिलों (Bill of Exchange) और खजाना बिलों (Treasury Bills) का बट्टे पर भुगतान करते हैं तथा प्रतिज्ञा विपत्र (Promissory Note) के आधार पर अग्रिमों एवं अधिविकर्ष (Overdraft) द्वारा उधार देते हैं।
गैर-बैंकिंग वित्तीय मध्यस्थ
वाणिज्यिक बैंकों के अतिरिक्त, गैर-बैंकिग वित्तीय मध्यस्थ भी मुद्रा बाजार में उधार लेने वालों को अल्पकालीन कोषों का उधार उपलब्ध कराते हैं। ऐसे मध्यस्थ बचत बैंक, निवेश-गृह, बीमा कम्पनियों, प्रोविडेण्ट फण्ड एवं अन्य वित्तीय निगम होते हैं।
कटौती-गृह और बिलों के दलाल
विकसित मुद्रा बाजार में वाणिज्यिक बैंकों के साथ-साथ निजी कम्पनियों भी कटौती-गृह चलाती है। कटौती-गृहों का प्रमुख कार्य दूसरों की ओर से बिलो का कटौती पर भुगतान करना होता है। मुद्रा बाजार में कटौती-गृहों के बिल का कटौती पर उधार लेने और उधार देने के के रूप में कार्य करते है। दाल ही कार्य करते हैं। के
स्वीकृत-गृह
स्वीकृत-गृह निर्यातको एवं आयातकों के मध्य उधारदाताओं एवं उधार लेने वाले व्यापारियों के मध्य एजेण्ट के रूप में कार्य करते है। व्यापारिक जिलों को स्वीकार करके वे परिपक्वता पर बिलों के भुगतान की गारण्टी देते हैं। वर्तमान में वाणिज्यिक बैंकों के द्वारा स्वीकृति व्यापार करने के कारण स्वीकृत हो का महत्त्व कम हो गया है।
मुद्रा बाजार के उपकरण कौन कौन से हैं? mudra bajaar ke upkaran kaun kaun se hain?
भारतीय मुद्रा बाजार में कई प्रकार के वित्तीय उपकरणों का लेन-देन करने वाली संस्थाएँ रहती है, जो उप-बाजारों के माध्यम से अपना कार्य करती है। भारतीय मुद्रा बाजार के कुछ प्रमुख उप-बाजार निम्नलिखित है
अविलम्ब मुद्रा बाजार | avilamb mudra bajaar
अविलम्ब मुद्रा बाजार (Call Money Market) में माँग पर देय ऋणों का लेन-देन होता है। यदि अति अल्पकालीन ऋणों का बाजार होता है, जिसमे ब्याज दर का निर्धारण ऋणों की मांग के आकार और बैंकों की तरलता की स्थिति पर निर्भर करता है, तो इस प्रकार के ऋणों का लेन-देन मुख्यतः वाणिज्यिक बैंकों के बीच होता है।
कॉल मनी call money kya hai
कॉल मनी का विनिमय प्रायः बैंकों के बीच होता है और वे आपसी सौदेबाजी द्वारा इसका रेट तय करते हैं। यह अगले दिन की वापसी की शर्त पर दिया जाने वाला ऋण होता है। इसके विनिमय की स्थापित जगह को कॉल मनी मार्केट या अन्तर बैंक कॉल मनी मार्केट कहते हैं। अन्तर बैंक कॉल मनी मार्केट के ऋणों के लिए National Stock Exchange ने नई दरें 15 जून, 1998 को प्रारम्भ की थीं।
ये दरे निम्न है
MIBOR (Mumbai Inter-Bank Offer Rate) MIBOR दर ऋणों के लिए उधार दर (Lending Rate) की सूचक है,
MIBID (Mumbai Inter-Bank Bid Rate) MIBID दर प्राप्तियों के लिए उधार दर की सूचक है।
LIBOR (London Inter-Bank Offered Rate) लन्दन में स्थापित यह विश्व की सबसे बड़ी कॉल मनी मार्केट है। सभी बैंकों से उधार लेने में यह औसत दर लघु अवधि की उधारी के लिए वैश्विक बैंचमार्क के रूप में दुनियाभर में उपयोग की जाती है।
बिल बाजार | bill bazar kya hai
बिल बाजार के विकास का आधारभूत कारण बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों को इस प्रकार से समर्थ बनाना है, जिससे वे अपने अतिरिक्त फण्ड को उचित अवसरों के द्वारा लाभदायक बना सके। इसके अन्तर्गत वाणिज्यिक बिल, कोषागार बिल (Treasury Bill), वाणिज्यिक प्रपत्र, प्रतिज्ञा-पत्र आदि आते हैं जो मुद्रा बाजार के प्रमुख उपकरण है।
मुद्रा बाजार के उपकरण | mudra bajaar ke upkaran
प्रतिज्ञा विपत्र |pratigya patra kya hai samajhaaie?
प्रतिज्ञा विपत्र (Promissory Note) किसी की ओर से स्वीकृत भविष्य की तिथि पर मुद्रा को निश्चित धनराशि दूसरे व्यवसायों को भुगतान करने की लिखित प्रतिक या वयन होता है। प्रायः प्रतिज्ञा विपत्र का भुगतान तीन दिन की छूट के साथ 90 दिन के बाद होता है। जिस बैंक में ऋणी का खाता होता है, उस बैंक द्वारा स्वीकृत प्रतिज्ञा विपत्र ही मान्य होता है। प्रतिज्ञा विपत्र व्यक्तिगत एवं संयुक्त रूप से लिखा जा सकता है।
विनिमय विपत्र या वाणिज्यिक विपत्र
मुद्रा बाजार का दूसरा उपकरण विनिमय विपत्र (Commercial Paper) होता है, जो प्रतिज्ञा विपत्र के समान ही होता है। उधारदाता विनिमय विपत्रों को बैंक या दलालों के माध्यम से बट्टे पर भुना सकता है, जो स्वीकृति की तिथि से भुगतान के लिए मान्य होता है।
खजाना बिल
मुद्रा बाजार का प्रमुख उपकरण खजाना बिल (ट्रेजरी बिल) होता है, जो एक वर्ष से कम की परिवर्तनशील अवधियों के लिए जारी किया जाता है। भारत में खजाना बिल प्राय: 91 दिन और 364 दिन के बीच बट्टे पर भारत सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं। भारत में इस समय तीन प्रकार के खजाना बिल होते है-14 दिन, 91 दिन, 364 दिन।
माँग एवं सूचना मुद्रा बाजार
माँग मुद्रा बाजार में निधियों को एक दिन के लिए उधार लिया या दिया जाता है। सूचना बाजार में बिना किसी जमानत के 14 दिन तक निधियों को उधार लिया या दिया जाता है।
अन्तर बैंक अवधि बाजार
भारत में वाणिज्यिक तथा सहकारी बैंकों के लिए अन्तर बैंक अवधि बाजार होते हैं, जो बाजार निर्धारित दरों पर बिना किसी जमानत के 14 दिन से 90 दिन तक की अवधि के लिए निधियों को उधार लेते या देते हैं। इसमें किसी भी प्रकार जमानत की आवश्यकता नहीं होती है।
जमा प्रमाण-पत्र
जमा प्रमाण-पत्र वाणिज्यिक बैंकों द्वारा अंकित मूल्य पर बट्टे के आधार पर जारी किए जाते हैं। बट्टे की दर का निर्धारण बाजार द्वारा होता है। जमा के प्रमाण-पत्रों की परिपक्वता अवधि 3 माह से 12 माह के मध्य होती है। वे जमा प्रमाण-पत्र 5 लाख के गुणक में जारी किए जाते है, जिनकी अधिकतम सीमा हैं 25 लाख होती है।
व्यावसायिक-पत्र
व्यावसायिक-पत्र (Commercial Bill) बैंकों से उधार न लेकर सीधे बाजार से अल्पकालीन कार्यशील पूँजी की आवश्यकताओं को बढ़ाने के लिए उच्च मूल्यांकन वाली कम्पनियों द्वारा जारी किए जाते हैं। व्यावसायिक-पत्र उधार लेने वाली कम्पनी द्वारा किसी निश्चित तिथि को ऋण चुकाने का वचन होता है। यह एक लोकप्रिय परन्तु असुरक्षित प्रतिभूति है। यह सर्वप्रथम वर्ष 1990 में जारी किया गया था। इसकी समय 1 से 15 दिन की होती है।
निक्षेप प्रमाण प्रत्र
निक्षेप प्रमाण-प्रत्र (Certificate of Deposit) वाणिज्यिक बैंकों द्वारा जारी किए जाते हैं। इनका मूल्य ₹ 25 लाख या उनके ही गुणांकों में होता है। इसके परिपक्वता की अवधि 7 माह से 1 वर्ष होती है।