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भारतीय नियोजन की असफलता के कारण | भारत में आर्थिक नियोजन को सफल बनाने हेतु सुझाव

भारतीय नियोजन की असफलता के कारण


bharatiy niyojan ki asafalata ke karan | 

bharat mein arthik niyojan ko safal banaane hetu sujhav

भारतीय नियोजन की असफलता के कारण (Causes of Failures of Indian

भारतीय अर्थव्यवस्था में नियोजन काल में आर्थिक क्षेत्र के अन्तर्गत अनेक असफलताओं के प्रमुख कारण निम्नलिखित  हैं- 

(1) योजना आयोग की असीमित शक्ति - 

योजना आयोग एक स्वायत्त संस्था होने पा भी इसकी शक्ति असीमित है। इसके नीति सम्बन्धी सुझाव आदेश माने जाते हैं। उस पर केन्द्रीय सरकार अपनी इच्छानुसार आयोग का गठन करती है। अत: आयोग स्वतन्त्र निर्णय न लेकर सरकार की कठपुतली बनकर कार्य करता रहा है।

(2) आयोग का कार्यकरण - 

आयोग का कार्य योजना निर्माण करना है न कि कार्यान्वित करना। कार्यरूप देने का कार्य केन्द्रीय व राज्य सरकारों को होता है। वह पहले से ही लालफीताशाही, अकुशलता तथा भ्रष्टाचार में लिप्त रही हैं। अत: योजनाएँ सही ढंग से कार्यान्वित नहीं हो सकी हैं।

(3) भेदभाव - 

आयोग राज्यों को अनुदान व वित्तीय सहायता देने में भेदभाव की नीति अपनाता रहा है। अत: संसाधन आबंटन युक्तिपूर्ण ढंग से नहीं हो सका है।

(4) नियोजन प्रक्रिया में दोष-

योजना निर्माण तथा कार्यान्वयन के समय में बहुत अन्तर रहा है। इससे योजनाओं में असफलता हाथ लगी है। इसके अतिरिक्त हमारे यहाँ नियोजन प्रक्रिया का केन्द्रीकरण रहा है जो कि गलत है। नियोजन ऊपर से नीचे न चलकर नीचे से ऊपर की और चलना चाहिए।

(5) अनिधिकृत मुद्रा की समस्या- 

देश में अनिधिकृत मुद्रा (Black Money) की मात्रा बहुत बढ़ गयी है। अतः यह मुद्रा विकास में न लगकर विलासिता में ही व्यय हुई है। 

(6) कृषि क्षेत्र की उपेक्षा- 

भारतीय नियोजन में कृषि क्षेत्र की उपेक्षा की गयी है। भू-सुधारों व कृषि आगतों की उपलब्धता की ओर ध्यान नहीं दिया गया। कृषि के विकास के अभाव में अन्य क्षेत्रों का विकास भी नहीं हो सका।

(7) आधारिक संरचनाओं का धीमा विकास-

देश में ऊर्जा, परिवहन, संचार आदि का बहुत धीमा विकास हुआ है। इसके अभाव में आर्थिक विकास में अनेक समस्याएँ आयी हैं। जो विकास हुआ भी उसका लाभ शहर के कुछ बड़े पूँजीपतियों को ही मिला है।

(8) गलत तकनीक-

देश में उत्पादन की तकनीक देश की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर नहीं अपनायी गयी। विदेशी तकनीक देश की परिस्थितियों में काम न कर सकी। 

(9) विदेशी सहायता-

देश में संसाधनों का निरन्तर अभाव रहा। अतः योजनाओं में विदेशी सहायता की मात्रा निरन्तर बढ़ती गयी। परिणामस्वरूप उत्पादन का बड़। भाग ब्याज भुगतान में ही चला जाता है।


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भारत में आर्थिक नियोजन को सफल बनाने हेतु सुझाव [Suggestions for Making the Economic Planning Successful in India]

भारत में आर्थिक नियोजन को सफल बनाने हेतु सुझाव

1. योजना आयोग के ढाँचे में परिवर्तन

2. नीचे से नियोजन

3. कृषि पर ध्यान

4. मूल्य स्थायित्व

5. प्रशासनिक कुशलता

6. उत्पादन तकनीक

7. विदेशी सहायता

वास्तविक मान्यताएँ

भारत में योजनाओं की सफलताओं  निम्नलिखित सुझाव दिये जा सकते हैं-

(1) योजना आयोग के ढाँचे में परिवर्तन - 

योजना आयोग को असंवैधानिक सलाहकार संस्था के रूप में केन्द्रीय सरकार से सम्बन्ध रखना चाहिए। इसमें मंत्री न होकर पूर्ण कालिक सदस्य होने चाहिए जो निष्पक्ष बुद्धिजीवी हों। इस प्रकार यह एक गैर- राजनीतिक संस्था के रूप में कार्य करे।

(2) नीचे से नियोजन - 

ग्रामीण विकास तथा औद्योगिक विकास कार्यक्रम नीचे के स्तर से अर्थात् ब्लॉक तथा कारखाने स्तर से आने चाहिए, तभी यह कार्यक्रम वास्तविकता तथा आवश्यकताओं के निकट होंगे।

(3) कृषि पर ध्यान - 

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है। अतः इसके विकास हेतु तेजी से प्रयास किये जाने चाहिए।

(4) मूल्य स्थायित्व - 

योजना की सफलता के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि देश में तेजी से बढ़ते मूल्यों को नियन्त्रित किया जाए। अन्यथा उपलब्ध वित्तीय साधन अपर्याप्त सिद्ध होंगे।

(5) प्रशासनिक कुशलता - 

सफल नियोजन तभी सम्भव होता है, जबकि प्रशासनिक मशीनरी कुशल एवं ईमानदार हो। अतः इस दिशा में विशेष प्रयास किये जाने चाहिए।

(6) उत्पादन तकनीक 

देश में उत्पादन तकनीक देश की दशाओं के अनुरूप अपनायी जाये, तभी गरीबी व बेरोजगारी को कम किया जा सकेगा।

(7) विदेशी सहायता- 

देश की विदेशी सहायता पर निर्भरता रोकने के प्रयास किये जाने चाहिए। इसके लिए देश में बचत एवं विनियोग को प्रोत्साहन दिये जायें जो विदेशी सहायता ली जाय वह आधुनिक तकनीक तथा आधारिक संरचनाओं के विकास हेतु ही ली जाय । 


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