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भारत में शिक्षा का विकास PDF

भारत में शिक्षा का विकास PDF |भारत में शिक्षा के विकास की समस्‍याऍं |

शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा क्या उपाय किए गए हैं?



सामाजिक आधारिक संरचना- 

सामाजिक संरचना से अभिप्राय यह है कि शिक्षा, कुशलता, स्‍वास्‍थ्‍य आदि जैसे बुनियादि तत्‍वों से होता है जो कि किसी भी देश की समाजिक विकास की जो प्रक्रिया होती है वह एक आधारशिला के रूप में कार्य करती है। सामाजिक संरचना के अन्‍तर्गत कुशल एवं स्‍वस्‍थ्‍ा  मनुष्‍य के शक्ति के विकास पर जोर दिया जाता है। यह मानव संसाधन के विकास का माध्‍यम से आर्थिक विकास को प्रोत्‍साहित करता है जो कि वास्‍तव मे आर्थिक आधारिक संरचना के द्वारा आर्थिक विकास तभी सम्‍भव होता है जब देश में सुदृढ़ सामाजिक आधारिक संरचना उपलब्‍ध हो । 

शिक्षा -भारत में शिक्षा का अर्थ

किसी भी  देश की आर्थिक विकास में  शिक्षा एक महत्‍वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षा का विस्‍तार होने से नागरिकों की क्षमता एवं कार्य में कुशलता में  वृद्धि से होती है। अत: देश के प्राकृतिक तथा भौतिक संसाधनों का कुशलता पूर्वक उपयोग का सम्‍भवना हो जाता है। जिसके कारण आर्थिक विकास में बहुत तेजी से बढ़ेगी। 

भारत में शिक्षा का विकास - bharat me shiksha ka vikas pdf

भारत में स्‍वतन्‍त्रता से पहले देश में शिक्षा के क्षेत्र मे  विकास के लिए कोई विशेष प्रकार से प्रयास नहीं किया गये थे। शिक्षा के क्षेत्र में जो भी विकास हुए थे उनका उद्देश्‍य  ब्रिटिस शासन की व्‍यवस्‍था को प्रभावशाली ढंग से संचालित करना था। स्‍वतन्‍त्रता के उपरान्‍त देश में शिक्षा को एक महत्‍वपूर्ण स्‍थान दिया गया। जिससे सन् 1976 से पहले की शिक्षा पूरी तरह राज्‍यों से आधारित विषय था परन्‍तु सन् 1976 से संविधान में संशोधन करके  शिक्षा को 'समवर्ती  सूची' में शामिल  कर लिया गया। जो सन् 1986 में सरकार ने राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की जिसे सन् 1992 में पुन: संशोधित किया गया । शिक्षा के लिए योजना का खर्चा नियोजन काल में बढ़ा है। यह सन् 1951-52  में शिक्षा का प्रतिशत 0.64 बढ़कर सन 2007-08 में 2.87 प्रतिशत हो गया है। इस सबके प्ररिणामस्‍वरूप  देश में शिक्षा के क्षेत्र में  तेजी से प्रगति हुई। 

1) साक्षरता -saksharta dar kise kahate hain

साक्षरता दर से आशय यह है कि सात वर्ष या इससे ज्‍यादा उम्र की उस जनसंख्‍या से है जो किसी भी भाषा को पढ़ एवं लिख सकती है वह साक्षरता दर भारत में सन् 1951 की जनगणना में 18.33 प्रतिशत थी फिर जब सन् 2011 में जनगणना के अन्‍तर्गत बढ़कर 74.04 प्रतिशत हो गयी है। सबसे ज्‍यादा साक्षरता दर वाला राज्‍य केरल जिसकी साक्षरता दर 93.91 थी। 

2) प्राथमिक शिक्षा - prathmik shiksha kya hai

प्राथमिक शिक्षा (कक्षा 1 से 8 ) के क्षेत्र में प्रगति का अनुमान सकल नामांकन अनुपात (GER) से लगाया जा सकता है। सकल नामांकन अनुपात प्रारंभिक स्‍कूलों में 6-13 वर्ष के उम्र के बच्‍चों को वास्‍तविक नामांकन अनुपात में दर्शाता है। यह अनुपात सन् 1950-51 के 32.1 बढकर 2010-11 में 104.3 हो गया है। बालकों की तुलना में बालिकाओं के सकल नामांकन अनुपात तेजी से वृद्धि हुई है अर्थात नामांकन में लिंग भिन्‍नता कम हो रही है। स्‍कूल छोड़ने या फिर स्‍कूल न जाने वाले बच्‍चों की संख्‍या भी निरन्‍तर कम हो रही है यह मार्च 2009 में 81.5 लाख थी। 

3) माध्‍यमिक शिक्षा - madhyamik shiksha kya hai

 माध्‍यमिक शिक्षा 14 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के विद्यार्थियों को उच्‍चतर शिक्षा प्राप्‍त करने तथा रोजगार प्राप्‍त करने के लिए तैयारी करती है। माध्‍यमिक एवं 1.69 लाख हो गयी है  । इन विद्यालयो में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या इन्‍हीं वर्षों में 14.8 लाख से बढ़कर 3.9 करोड़ हो गयी है। 

4) उच्‍चतर शिक्षा - uchch shiksha kya hai

स्‍वतन्‍त्रता प्राप्‍ति के बाद देश में उच्‍चतर शिक्षा के क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है। वर्ष 1950 - 51 में देश में केवल 27 विश्‍वविद्यालय थे। जिनकी विश्‍वविद्यालय थे जिनकी संख्‍या वर्तमान में 436 है। वर्ष अगस्‍त 2011 में सामान्‍य शिक्षा के 31,324 महाविद्यालय देश में थे। इस समय विश्‍वविद्यालय तथा महाविद्यालयों में मिलाकर 1.16 करोड़ विद्यार्थी पढ़ रहे हैं तथा 4.5 लाख शिक्षक अध्‍यापक कर रहे हैं। 

5) तकनीकी शिक्षा - takniki shiksha kya hai

भारत में नियोजन अवधि में तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण में तेजी से प्रगति हुई है । 1950-51 में 33 इंजीनियरिंग व तकनीकी कॉलेज थे। वर्तमान में ए.आई.सी.टी.ई. (All India Council for Technical Education ) से 1,969  स्‍नातक तथा 2,475 स्‍नातकोत्तर तकनीकी संस्थान सम्‍बंद्ध हैं। देश में 16 इण्डियन इन्‍स्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नालॉजी (IIT) तथा 20 राष्‍ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान (NITs) है। यह तकनीकी डिग्री व स्‍नातकोत्तर उपाधि देते है। प्रबन्‍ध शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए तेरह इण्डियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ मैनेजमेण्‍ट (IIM)  है। इसके अतिरिक्‍त उच्‍च शिक्षा एवं प्रशिक्षण के लिए भारतीय सांख्यिकी संस्‍थान, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, इण्डियन स्‍कूल ऑफ साइन्‍स, इन्‍स्‍टीट्यूट ऑफ इकॉनोमिक ग्रोथ आदि है। 

6) ग्रामीण शिक्षा - gramin shiksha kya hai

भारत में ग्रामीण शिक्षा के क्षेत्र में विशेष प्र‍गति हुई है। ग्रामीण उच्‍च शिक्षा समिति की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने राष्‍ट्रीय ग्रामीण उच्‍च शिक्षा परिषद् की स्थापना की । इस समय पर देश में 14 ग्रामीण संस्‍थान कार्य कर रहे है। 

7) प्रौढ़ शिक्षा - praudh shiksha kya hai

प्रौढ़ व्‍यक्तियो में निरक्षरता को समाप्‍त करने के लिए देश मे विशेष प्रबन्‍ध किेये गये है। सन 1988 में इस सन्‍दर्भ में राष्‍ट्रीय साक्षरता मिशन की स्थापना की गयी। इसमें 15-35 वर्ष के आयु  वर्ग में समय बद्ध तरीके से निरक्ष्‍रों को कार्यात्‍मक साक्षरता प्रदान की जाती है। राष्‍ट्रीय साक्षरता मिशन का उद्देश्‍य वर्ष 2012 तक 85 प्रतिशत चिरकालिक साक्षरता दर प्राप्‍त करना है।

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8) सर्वशिक्षा अभियान - sarva shiksha abhiyan kya hai|

sarva shiksha abhiyan pdf

सन् 2001-02 से सर्वशिक्षा अभियान कार्यक्रम को चलाया ज रहा है। यह प्रारम्भिक शिक्षा उपलब्‍ध कराने का मुख्‍य साधन है। इसमें सन 2007 तक सभी बच्‍चों को कक्षा पॉच तक तथा 2010 तक कक्षा आठ तक की प्राथमिक शिक्षा को उपलब्‍ध कराने का लक्ष्‍य था । इसके अतिरिक्‍त शिक्षा में लिंग एवं सामाजिक श्रेणी के अन्‍तर को समाप्‍त करना तथा शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्‍यान दिया जाता है। यह अभियान 6-14 वर्ष की आयु वर्ग में 19.2 करोड बच्‍चों की जरूरतों को पूरा करता है। इसमें विद्यमान 9.72 लाख प्राइमरी तथा अपर प्राइमरी स्‍कूल तथा 36.95 लाख अध्‍यापक शामिल है।

9) स्‍त्री साक्षरता -

स्‍वतन्‍त्रता के समय देश में स्‍त्री साक्षरता का स्‍तर बहुत नीचा था परन्‍तु अब इस ओर पर्याप्‍त ध्‍यान दिया जाता रहा है। वर्तमान में यह दर 65.46 प्रतिशत है। 


भारत में शिक्षा के विकास की समस्‍याऍं -भारत में शिक्षा की समस्या

bhara me shiksha samasya par nibandh

यद्यपि स्‍वतन्‍त्रता के बाद भारत में शिक्षा के क्षेत्र में प्र‍गति हुई है । परन्‍तु इसके विकास में अने प्रकार की कमियॉं भी रही है। 

1) कुछ वर्गों तक सीमित -

 भारत में शिक्षा की सेवाऍं सम्‍पूर्ण जनसंख्‍या को उपलब्‍ध नहीं करायी गयी है । यह केवल कुछ हि वर्गों तक सीमित  ही है। 

2) बीच में शिक्षा को छोड़ देना -

 देश में बच्‍चे के स्‍कूलों में अपना नाम पंजीकृत कराते है परन्‍तु वह दो-तीन वर्ष के बाद शिक्षा को छोड़ देते है। इससे साधनों का अपव्‍यय होता है तथा शिक्षा के विकास में रूकावट आती है। 

3) असमान विकास -

 भारत में पुरूषों का शिक्षा पर बडा प्रतिशत है । सन् 2011 में महिला साक्षरता दर केवल 65.46 प्रतिशत थी। जबकि पुरूषों में यह केवल 65.46 प्रतिशत थी। जबकि पुरूषों की साक्षरता दर 82.14 प्रतिशत थी। । राज्‍यों में भी इसका असमान विकास हुआ है। केरल में जहॉं साक्षरता दर 93.91 थी वहॉं पर बिहार में यह केवल 63.8 प्रतिशत रही है। 

4) शिक्षा के स्‍तर में अन्‍तर -

 देश में शिक्षा के स्‍तर पर भारी अन्‍तर विद्यमान है । साधन सम्‍पन्‍न पब्लिक स्‍कूल में जहॉं शिक्षा का स्‍तर ऊॅचा है वहॉं सरकारी स्‍कूलों का बहुत नीचा है। 

5) अध्‍यन की गुणवत्ता में कमी -

 अनेक प्राथमिक स्‍कूलों के अध्‍यापक अन्‍य कार्यों जैसे कि चुनाव, जनगणना, पल्‍स पोलियों कार्यक्रम आदि में व्‍यस्‍त होने के कारण शिक्षा के गुणवत्ता पर ज्‍यादा ध्‍यान नहीं दे पा रहे है। इससे शैक्षिक वातावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 

6) रोजगार मूलक शिक्षा का अभाव - 

देश में जो शिक्षा दी जाती है वह रोजगार मूलक न होकर सामान्‍य है। इससे कार्य में कुशलता या रोजगार का कोई लाभ नहीं मिलता है। 

7) महगी शिक्षा एवं प्रशिक्षण -

 देश में शिक्षा एवं प्रशिक्षण दिन-प्रतिदिन महँगा होता जा रहा है। सभी लोगों द्वारा इसे प्राप्‍त करनें में कठिनाई होती है केवल सम्‍पन्‍न वर्ग के लोग ही प्राप्‍त कर सकते है। 

शिक्षा के सुधार हेतु सरकारी उपाय - 

भारत में शिक्षा में सुधार के लिए सरकार क्या कर सकती है?

शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा क्या उपाय किए गए हैं?


1) राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति - 

सन् 1986 में सरकार ने  राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति बनायी  और इसमें शिक्षा के क्षेत्र को विकास हेतु अनेक उपायों की घोषणा की गयी। शिक्षा पर राष्‍ट्रीय आय का 6  प्रतिशत व्‍यय आवश्‍यक  माना गया  है। इस नीति को  सन् 1992 में संशोधन करते हुए शिक्षा की सार्वभौमिक  पहुँच 14  वर्ष तक के बच्‍चों को स्‍कूली पढ़ाई न  छोडने  देने तथा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार  पर जोर दिया गया । सन् 2002 में 86 वे संवैधानिकअधिनियम में एक नई धारा जोडते हुए 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के सभी  बच्‍चों के लिए नि: शुल्‍क एवं अनिवार्य शिक्षा को उनका मौलिक अधिकार बना दिया गया। इस आयु के सभी बच्‍चों को शिक्षा को एक सुनिश्चित कराने के उद्देश्‍य से सरकार ने नि:शुल्‍क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार 2009 (RTE Act, 2009) बनाया गया । और इस अधिनियम  को 1 अप्रैल 2010 को  लागू कर दिया गया। 

2) अनौपचारिक शिक्षा - 

वर्ष 1979-80 में 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के ऐसे बच्‍चे के लिए जो विभिन्‍न कारणों से औपचारिक शिक्षा प्रणाली से बाहर रहे, अनौपचारिक  शिक्षा  प्रारम्‍भ किया गयी है। इस कार्यक्रम में  शैक्षिक रूप से पिछडे़ 10 राज्‍यों पर ध्‍यान केन्द्रित किया गया है। 

3)  मध्‍यान्‍ह्र भोजन कार्यक्रम - 

कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के  बच्‍चों को पौष्टिक आहार प्रदान करने का कार्यक्रम 15 अगस्‍त 1995 में  शुरू किया गया ।जिससे प्राथमिक शिक्षा को बढावा मिल सके और  इस कार्यक्रम को दोपहर  का भोजन कार्यक्रम भी कहते है । इस कार्यक्रम का मुख्‍य उद्देश्‍य यह कि स्‍कूलों या विद्यालयों में बच्‍चों का दाखिला एवं उपस्थिति सुधारना तथा उन बच्चों को रोज स्‍कूल आने के लिए प्रोत्‍साहित करना । 

4) आपरेशन ब्‍लैक बोर्ड - 

सन् 1987-88 में आपरेशन ब्‍लेक बोर्ड योजना को प्रारम्‍भ किया गया। आपरेशन ब्‍लैक बोर्ड का मुख्‍य उद्देश्‍य देश के सभी प्राथमिक स्‍कूलों में कम से कम दो बडा कमरें तथा इसके साथ हि कम  से कम दो शिक्षकों को तथा जरूरी पाठन सामग्री की व्‍यवस्‍था करना है। 

5) सर्वशिक्षा अभियान  -  

यह अभियान प्रारम्भिक शिक्षा के महत्‍वपूर्ण लक्ष्‍य दिशा में एक ऐतिहासिक उपाय है । इसी के संघटक के रूप में प्राथमिक स्‍तर  पर बालिकाओं की  शिक्षा केलिए राष्‍ट्रीय कार्यक्रम (NPEGEL)  तथा शिक्षा गारंटी योजना और  वैकल्पिक तथा नवप्रवर्तक शिक्षा (EGS and AIEE) कार्यक्रम चलाया जा रहा है। मार्च,  2011  तक सर्वशिक्षा अभियान में  3,34,149  नये स्‍कूल खोले जा चुके थे तथा 8.77 करोड़ बच्‍चों को नि:शुल्‍क पुस्‍तके वितरण की गयी थी। 

6) प्रारम्भिक शिक्षा कोष - 

प्राथमिक शिक्षा और साक्षरता विभाग ने 14 नवम्‍बर 2005 को यह प्रारम्भिक शिक्षा कोष की स्‍थापना की है। इसका रखरखाव मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा लगाये गये शिक्षा उप-कर से होने वाली प्राप्तियों को रखा जाता है। प्रारम्भिक शिक्षा कोष  का रख रखाव मानव संसाधन विकास  मंत्रालय द्वारा किया जाता है। इस  कोष से सर्वशिक्षा अभियान के लिए भी  वित्त की व्‍यवस्‍था की जाती है। 

7) कस्‍तूरबा गॉंधी बालिका विद्यालय -  

इस योजना का प्रारम्‍भ अगस्‍त 2004 में किया गया । इसका मुख्‍य उद्देश्‍य पिछड़े हुए क्षेत्रों तथा अनुसूचित जाति एपं जनजाति तथा पिछडे वर्ग की बालिकाओं के लिए उच्‍च प्राथमिक स्‍तर पर आवासीय विद्यालयों की स्‍थापना करना है। 31 मार्च्‍ा 2011  तक में 3,367 KGBV स्‍कूल संचालित थे। इनमें से 2.83 लाख बालिकाऍ पंजीकृत थी  । अप्रैल 2007 से इस योजना को सर्वशिक्षा अभियान में मिलाकर उसका संघटक बना दिया गया। 

8) सभी के लिए शिक्षा - सरकार ने प्रत्‍येक व्‍यक्ति को शिक्षित करने के उद्दश्‍य से वर्ष 1993 में सभी के लिए शिक्षा कार्यक्रम चलाया है। 

9)राष्‍ट्रीय माध्‍यमिक शिक्षा अभियान (RSMA) 

इस योजना को सरकार  ने मार्च 2009 से प्रारम्‍भ किया गया । इसका मुख्‍य उद्देश्‍य माध्‍यमिक शिक्षा पहुच का विस्‍तार करना तथा शिक्षा गुणवत्ता में सुधार लाना है। माध्‍यमिक स्‍तर पर पंजीकृत दर जो 52.26 प्रतिशत थी उसे अगले पॉच वर्षों के अन्‍दर बढ़ाकर 75 प्रतिशत करना इस योजना का लक्ष्‍य है इसके लिए बसाहट से उचित दूरी पर माध्‍यमिक स्‍कूल उपलब्‍ध कराये जायेगें ।

10) साक्षर भारत -

सामाजिक आर्थिक विकास में शिक्षा की पूर्व शर्त को स्‍वीकार करते हुए राष्‍ट्रीय साक्षरता मिशन के अन्‍तर्गत साक्षर भारत फलैगशिप कार्यक्रम चलाया गया है। उसका मुख्‍य ध्‍येय महिला साक्षरता को बढाना है इस कार्यक्रम में 15 वर्ष से ज्‍यादा उम्र के व्‍यक्‍त विशेषकर महिलाऍं शामिल की जाती है। आधारभूत साक्षरता समय अन्‍तराल साक्षरता तथा सतत्  शिक्षा इस कार्यक्रम के नवीन लक्षण है।