सोमवार, 5 जून 2023

बैंक का अर्थ| बैंक की कितनी परिभाषाएं हैं?| बैंक क्या है, बैंक के प्रकार | बैंकिंग क्या है और इसका इतिहास क्या है? | प्राचीन काल तथा मध्‍यकाल में बैंकिंग व्‍यवसाय पर संक्ष्प्ति वर्णन | प्राचीन भारतीय बैंकिंग व्यवस्था | भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण कब हुआ था| बैंक प्रबंधन समिति क्या है? |

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बैंकिंग क्या है और इसका इतिहास क्या है?

प्राचीन काल तथा मध्‍यकाल में बैंकिंग व्‍यवसाय पर संक्ष्प्ति वर्णन

भारत में प्राचीन काल से ही किसी न किसी रूप में रूपयों का लेन देन होता था बौद्ध काल से ही कुछ ऐसी संस्‍थांए थी जो की व्‍यापारियों और विदेशों में जाने या घूमने के लिए उधार देते थे। प्राचीनकाल में कागज के नोट बिल या चेक आदि का प्रयोंग नही किया जाता था। बल्कि 12 वी शताब्‍दी से गाव में साहूकारों तथा बडे सेठों से रूपया को उधार लेने लगें। ये जो सेठ महाजन होते थे वह राजा महाराजाओं तथा मुगलो को भी आर्थि सहायता दिया करते थे। इन लोगों को जगत सेठ के नाम से जाने जाते थे। 

प्राचीन भारतीय बैंकिंग व्यवस्था

        भारत में सबसे पहले बैंक की स्‍थापना  सन 1881 में की गई थी जिसका नाम  अवध कॉमर्शियल बैंक था। उसके बाद फिर पंजाब नेशनल बैंक की स्‍थापना सन 1894 हुई थी। सन 1906 में स्‍वदेशी आंदोलन शुरू होने के कारण वाणिज्‍यक बैंकों की स्‍थापना को प्रोत्‍साहन मिला। वर्ष 1913 से 1917 के दौरान विभिन्न राज्यों में बैंकों का दिवालिया हो जाने से  बैंकों का नियमन और उन पर नियंत्रण की आवश्यकता को बल मिल गया। इस कारण अधिनियम बैंकिंग कंपनी अधिनियमन सन 1949 में पारित किया गया और इसके बाद बैंकिंग कंपनी नियमन अधिनियम 1949 के रूप में जाना जाने लगा। इस नियम के जरिए बैंकिंग व्यवस्था पर कानूनी नियमन अधिकार रिजर्व बैंक को मिल गया।
सन 1955 में देश के सबसे बड़े बैंक इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया इसका नाम बदलकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया कर दिया गया था और बाद में सन 1959 में किसके साथ सहयोगी बैंकों का गठन किया गया।


भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण कब हुआ था?


समाज के दायित्व को देखते हुए केंद्र सरकार ने आर्थिक विकास की मुख्यधारा लाने के उद्देश्य 14 प्रमुख बैंकों का नियंत्रण अपने हाथ में लेने लगा।  14 जुलाई 1969 को यह आदेश जारी किया। 15 अप्रैल सन 1980 को अन्य बैंकों का भी राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।

बैंक प्रबंधन समिति क्या है?

आठवें दशक के अंत में कुछ ऐसी अनियमित व्यवस्था पाई गई जो सरकार को लगा कि इन्हें दूर किया जाना चाहिए ताकि वित्तीय व्यवस्था  और अर्थव्यवस्था को बनाने में  भूमिका निभा सके। तदनुसार वित्तीय ढांचे संगठन कामकाज और ऐसी सभी प्रक्रिया की जांच के लिए 14 अगस्त सन 1991 को श्री एम नरसिंहम की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया। यह समिति सिफारिशों के आधार पर सन 1993 में बैंकों में हो रहे गड़बड़ी को सुधार के लिए बनाई गई थी।