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भुगतान संतुलन अर्थ , परिभाषा, प्रकार, कारण, उपाय

 


भुगतान संतुलन अर्थ क्‍या है| bhugtan santulan ka arth 

भुगतान संतुलन की परिभाषा| bhugtan santulan ki paribhasha

भुगतान संतुलन कितने प्रकार| bhugtan santulan ke prakar

भुगतान संतुलन के प्रतिकूल होने के क्या कारण| bhugtan santulan ke karn

भुगतान संतुलन में असंतुलन को दूर करने के उपाय| bhugtan santulan ke upay


भुगतान संतुलन क्या होता है? bhugtan santulan kya hai

भुगतान संतुलन से अभिप्राय है कि देश के समस्त आया तो एवं निर्यात ओ के साथ अन्य सेवाओं के मूल्यों के संपूर्ण विवरण से है जो एक निश्चित समय के लिए बनाया जाता है भुगतान संतुलन में देश की विदेशी मुद्रा की लेन और देन का ब्यावरा शामिल किया जाता है।


भुगतान संतुलन की परिभाषा/ bhugtan santulan ko paribhashit kijiye

प्रोफेसर हेबरलर के अनुसार

भुगतान संतुलन का अर्थ किसी भी हुई समय में विदेशी मुद्रा की खरीदी एवं बेची गई मात्रा से है।


प्रोफेसर बेनहम के अनुसार

किसी देश का भुगतान संतुलन उसका शेष विश्व के साथ एक समय में दी जाने वाली मौद्रिक लेनदेन का विवरण होता है जबकि एक देश का व्यापार संतुलन एक निश्चित समय में इसके आयात एवं निर्यात के बीच संबंधों को दर्शाता है।


भुगतान संतुलन में अतिरिक्त क्या है?

भुगतान संतुलन में घाटा क्या है?

सामान्यतः भुगतान संतुलन बराबर रहता है किंतु जब चालू खाते की बाकी व पूंजीगत सौदे की शुद्ध राशियों की बाकी को जोड़कर जो राशि आती है वह भुगतान संतुलन के बचत तथा घाटे को दर्शाती है जब कोई प्राप्तियां कम एवं कुल भुगतान अधिक होता है तो भुगतान संतुलन में घाटा होता है और इसके उल्टा यदि प्राप्तियां अधिक होती हैं तो और भुगतान कम करना पड़ता है तो बचत या अतिरेक कहते हैं।

भुगतान संतुलन कितने प्रकार के होते हैं?/ bhugtan santulan ke prakar kya hai

1. चालू खाता

2. पूंजी खाता

3. एकतरफा हस्तांतरण खाते

4. आधिकारिक आरक्षित खाते




भुगतान संतुलन के प्रतिकूल होने के क्या कारण है?/  bhugtan santulan ke karan

1. खाद्यान्नों का  आयात 

देश के अंदर किसी प्रकार का प्राकृतिक प्रकोप आ जाने से खाद्यान्नों का बड़े पैमाने में आयात करना पड़ता है जो कि देश के भुगतान संतुलन की प्रतिकूलता का प्रमुख कारण है।

2. भारी मशीनों का आयात

औद्योगिकीकरण को बढ़ाने के लिए बड़ी मशीनों का आयात किया जाता है तकनीकी ज्ञान का भी आयात किया जाता है।

3. स्पीति प्रभाव

विभिन्न योजनाओं में सरकार द्वारा बड़ी मात्रा में धनराशी का खर्च किया जाता है जिससे मुद्रास्फीति में लगातार बढ़ोतरी हुई है इस  प्रभाव के कारण विदेशियों को भारत का बाजार बहुत अच्छा मिला जिस से आयात बड़ा और भुगतान संतुलन प्रतिकूल हो गया।


4. निम्न निर्यात

भारत देश के अंदर आयातो से उसके निर्यातो की तुलना नहीं की जा सकती है। अपने देश के अन्‍दर ऐसी वस्‍तुओ का निर्माण किया जाता है जिनकी लागत  अधिक होती है और उस तरह से वस्‍तुओ का निर्माण अच्‍छी गुणवत्‍ता वाली नही हो पाती है या कह सकते है की खराब होती है । जिससे विश्‍व बाजार में उनकी मॉग कम होती है । 

5. सुरक्षा पर खर्च 

भारत में चीन एवं पाकिस्‍तान से युुद्ध के भय के कारण देश में भारी सुरक्षा के लिए अधिक धन खर्च की जाती है । और सुरक्षा से संबंधिक तकनीकी मशीनों का आयात किया जाता है । 

6. जनसंख्‍या 

भारत में जनसंख्‍या दिन प्रतिदिन बढ्ती जा रही है जिससे आयातों मे वृृद्धि होती जाती है । तथा घरेलू अपभाेग बढ्ने के कारण निर्यात की क्षमता में कमी आयी है। 

भुगतान संतुलन में असंतुलन को दूर करने के उपाय / bhugtan santulan ke upay

1. निर्यातों को प्रोत्‍साहन - भारत सरकार को निर्यात को बढ्ने के लिए हर संभव को प्रयास कारने चाहिए। 
    ।.1 निर्यात करों में कमी की  जाना चाहिए 
    ।.2 देया में उद्योगों को आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए 
    ।.3 विदेशों में वस्‍तुओं के लिए प्रचार व विज्ञापन किया जाना चाहि‍ए 
2. आयात में कमी -देश में अपने आयातों में कमी करना चाहिए जिससे देश में आने वाली वस्‍तुओंंको महगी कर देनी चाहिए जिससे उसकी मॉग कम हो। 
    1. आयात करों में वृद्धि करनी चाहिए 
    2. साथ में लाइसेंस व कोटा प्रणाली का भरपूर्ण सहायता देनी चाहिए 
3. आयात - प्रतिस्‍थापन -
    जिन देशों में आयात किया जाता है उनके लिए प्रतिस्‍थापन की व्‍यवस्‍था की जानी चाहिए । इसके लिए घरेलू उत्‍पादन बढ़ा़या जाना चाहिए ।
4. विदेशी ऋण 
    भुगतान असंन्‍तुलन की समस्‍या को दूर करने के लिए विदेशी ऋणों का प्रयोग करना चाहिए 
5. विनिमय नियंत्रण
 भुगतान  संतुलन को ठीक करने के लिए विनिमय नियंत्रण भी एक रास्‍ता है । इससे आयात घटते है निर्यात बढ़ते है ।