Hot Posts

6/recent/ticker-posts

berojgari ke arth अर्थ ,परिभाषा, प्रकार, क्षेत्र , कारण, उपाय, बेरोजगार पर निबन्‍ध हिन्‍दी

 berojgari ke prakar
berojgari ke karan
bharat mein berojgari ke karan
mausami berojgari kya hai
भारत में बेरोजगारी के प्रकार
बेरोजगारी के प्रकार class 9
बेरोजगारी के प्रकार drishti ias
prachan berojgari kya hai
बेरोजगारी क्या है pdf
chakriya berojgari kya hai
berojgari kya hai
Bharat mein berojgari ke karan
Berojgari ke prakar
Berojgari dur karne ke upay
भारत में बेरोजगारी के कारण और निवारण
भारत में बेरोजगारी की समस्या PDF
बेरोजगारी की समस्या और समाधान pdf
Berojgari ki samasya




berojgari per nibandh hindi mein

बेरोजगारी क्या है –berojgari essay | berojgari ka arth bataiye | berojgari kya hai

वर्तमान समय में अल्‍पविकसित देशों अधिक देखने को मिलती है । भारत में रोजगार के अवसर बहुत कम है जिस कारण बेरोजगारी  दिनों दिन बढ़ती जाती है ।  वर्तमान समय में आधुनिक यंत्रों का प्रयोग करते है जिस कारण लोगों रोजगार में क्षति पहुचती है । बेरोगारी से देश की आर्थिक विकास में भी बाधा उत्‍पन्‍न होता है । बेरोजगार होने से निर्धनता फैलती है और रोजगार न होने के कारण लोग ऐसे कार्य करने लगते है जो की कानूनन अपराध है ।व्‍यक्तियो के जीवन स्‍तर नीचे की ओर गिरता हुआ दिखाई देता हैै।

बेरोजगारी किसे कहते है –berojgari kise kahate hain

बेरोजगारी का सामान्‍य अभिप्राय यह है कि  ऐसे लोग जो शरीरिक व मानसिक रूप से चल रही मजदूरी की दरों पर कार्य करने की इच्‍छा और योग्‍य रखते है लेकिन उनको कार्य उपलब्‍ध नही हो पाता है उसे बेरोजगारी कहते है ।

बेरोजगारी की परिभाषा  –

प्रो. पीगू के अनुसार - ऐसे व्‍यक्ति जो कि वर्तमान समय में कोई कार्य नही कर रहा हो तो उसे बेरोजगार कहलायेगा  जब वह कार्य शरीरिक एवं मांसिक तरीके से कार्य करना चाहता हो लेकिन उसे काम न मिले। 


बेरोजगारी के प्रकार   –

बेरोजगार के प्रकार निम्‍नलिखित है -

1-शिक्षित बेरोजगारी 

    एसे व्‍यक्ति को पढ़ लिखकर अपने कार्य को करने में समक्षम है ल‍ेकि‍न उनको कही पर भी कार्य नही मिल रहा है  और वह रोजगार को ढूढते हुए इधर उधर भटकते है इस तरह के व्‍यक्ति को शिक्षित बेरोजगारी कहते है । भारत देश में ऐसे बेरोजगार हर शहर एवं गॉव में मिल जायेगें। जो ऐसे डिग्री धारक है फिर भी किसी कम्‍पनी या उद्योग में नौकरी नही मिल रही हे जिसके चलते उनकी आर्थिक स्‍थिति नीचे की ओर जा रही है । और देश के विकास में भी इसका प्रभाव देखने को मिलता है । हर महाविद्यालय एवं कॉलेज से लाखो विद्यार्थी निकलते है जो सभी के पास नौकरी नही मिल पाती है । जिससे की उनका समय एवं मुन्‍द्रा दोनों व्‍यर्थ जाता है ।   

2-अनैच्छिक बेरोजगारी 

अनैच्छिक बेरोजगारी से अभिप्राय यह है कि ऐसे लोग जो काम करने की इच्‍छा रखते है तथा उस काम में योग्‍य तथा  सक्षम होते है लेकिन उनको काम नही मिल पाता है उसे अनैच्छिक बेरोजगारी कहते है । 

3- ऐच्छिक बेरोजगारी 

 एसे लोग है जो काम करने के योग्‍यता नही रखते है अ‍थवा काम करने की योग्‍यता रखते है और उन्‍हे काम नही मिल पाता है इस प्रकार के स्थिति को ऐच्छिक बेरोजगारी कहते है ।

4-मौसमी बेरोजगारी 

मौसमी बेरोजगारी कृषि पर देखी जाती है क्‍याेंकि उसमें पूरे वर्ष श्रमिकों को रोजगार उपलब्‍ध नही होता है । और यह भी है कि वह खेती को छोड कर कही जा भी नहीं सकते है । कृषि एक ऐसे व्‍यापार हैै जिसमें खेती की बुआई एवं कटाई के बाद उसमें रोजगार नहीं होता है । एक बार खेती बुआई होने के बाद 5-6 महीने के बाद कटाई पर ही रोजगार उपलब्‍ध होते है जो कि बीच के समय होता है उन समय में लोग के पास कोहई काम नहीं होता है ।   

5- अल्‍परोजगार -    alp berojgari kise kahate hain

    इस प्रकार के रोजगार को कहते है जो कि कुछ समय के लिए काम चलता है उसके बाद वह बन्‍द हो जाता है जिसके बाद उस कार्य में लगे श्रमिक बेरोजगार हो जाते है । 
उदाहरण - जैसे किसी गाॅव में सरपंच के माध्‍यम से पानी वाली नाली बनाई जाय जो कि एक सप्‍ताह चले उसके बाद नाली का काम बन्‍द हो जाय , उसे बाद लगे श्रमिक बेरोजगार हो जाते है इसे हि अल्‍परोजगार कहते है । 

6 - vn`”; बेरोजगारी 

 ऐसे लोग जो काम मे तो लगे होते है परन्‍तु उनका उत्‍पादन में योग्‍दान शून्‍य होता है   लेकिन वे लोग वास्‍तव में बेरोजगार होते है जिसके अन्‍तर्गत देश में बहुत बडा भाग होने के कारण उन लोगों पर कोई विशेष ध्‍यान नही दिया जाता है इस तरह के रोजगार को छिपी या vn`”; बेरोजगारी कहते है । 

बेरोजगारी का क्षेत्र -

1सामाजिक क्षेत्र  - 

भारत में बेरोजगारी के चलते देश की समाज में प्रभाव देखने को मिलते है जो कि सामाज में विकास नही हो पाता है  जिससे की लोग परेशान होते है जिससे की उनके परिवार में भी देखने को मिलता है । समाज वर्तमान समय में और पीछे जा रहा है क्‍योकि बेरोजगारी के चलते वह अपनी स्थिति को सुधार नही पाता है जो वर्तमान समय में सबसे अधिक जरूरी है ।

2 शिक्षा के क्षेत्र -

     बेरोजगार होने के कारण अपने बच्‍चों की अच्‍छी शिक्षा नही दे पाते है जो कि आने चलकर बेरोजगारी का कारणबन जाता है । ग्रामीण एवं शहर के जो अशिक्षिक लोग होते है जो कि‍ शासन द्वारा चलाई गई योजनाओं कि  सही जानकारी नही प्राप्‍त कर पाते है । जिससे की उनका विस्‍तार रूक जाता है । 

3 आर्थिक विकास  -
देश की आर्थिक विकास में इसका अत्‍यधिक प्रभाव पडता है । देश में बेरोजगारी के चलते हि गाॅव एवं शहर के आर्थिक विकास में बाधा उत्‍पन्‍न होता है जो देश को विकासशील बनने में रोकता है । 

4 अन्‍य क्षेत्र -  

भारत में ग्रामीण एवं शहरी दोनो हि क्षेत्रों में बहुत बेरोजगारी पायी जाती है जिससे की विकास में विस्‍तार नहीं हो पाता है । जिससे की ग्रामीण मे आज भी बेरोजगारी व्‍यापक रूप से है  ।  




 

बेरोजगारी के कारण   -

1 जनसंख्‍या की तीव्रगति से बृद्धि - 

भारत में में जनसंख्‍या तीव्र गति से बढ़ रही है जो कि बेरोजगारी का सबसे प्रमुख कारण है क्‍योकि जिस अनुपात से जनसंख्‍या बढ रही है उस हिसाब से रोजगार का उत्‍पादन नहीं किया जा सकता है ।

2 लघु एवं उटीर उद्योगों में तकनीकी  -

अब छोटे -छोटे कार्य में भी तकनीकी का प्रयोग किया जाता है जो कि ग्रामीण से लेकर शहर में भी बेरोजगारी का विस्‍तार बढता है । इससे जो लोगों को रोजगार उत्‍पन्‍न होता था इन तकनीकी प्रयोग से अब रोजगार के अवसर समाप्‍त होते दिख रहे है। 

3 पूॅजी की निर्माण निम्‍न दरे  -

भारत में जिस प्रकार से जनसंख्‍या कि दर बढ़ रही है उस प्रकार से निर्माण में पूॅजी नही लगाते है जिस कारण से बेरोजगारी बढती जाती है

4 श्रम मे गतिशीलता का अभाव  -

परिवारिक मोह के कारण कार्य न करने जाना जिससे की आगे चलकर परेशानी होती है रूढिवादित होना आदि 
जो कि रोजगार प्राप्‍त में बाधा है । 

5 शिक्षा का अभाव  -

देश में शिक्षा का प्रभाव महत्‍वपूर्ण है जो व्‍यक्ति का जीवन की शुरूआत शिक्षा से हि होती है अगर शिक्षा व्‍यवस्थिति तरीके नही उपब्‍ध होती है तो उसका जीवन निरंक हो जाता है जो कि उसके जीवन में बहुत बुरा प्रभाव देखने को म‍िलता है । पूरा जीवन वह अपने को ही कोषता रहता है । 
 

बेरोजगारी के उपाय

1 शिक्षा का व्‍यवहारिक  होना 

    शिक्षा का सिद्धांत के रूप में न होकर व्‍यवहारिक रूप में होने से शिक्षा में अधिक प्रभाव देखने को मिलेगा जो आने वाले समय पर बेरोजगारी मे कमी होगी । देश में आर्थिक विकास में तेजी आयेगी । शिक्षा हि एक ऐसा जिसमें की सभी लोग एक साथ आगे बढ सकते है।  

2 औद्योगिकरण को बढावा देना -

आद्योगिकरण को ग्रामीण क्षेत्रों में ज्‍यादा से ज्‍यादा इसका विस्‍तार किया जाना चाहिए जो गाव में बेरोजगारी है उसे दूर करके देश की आर्थिक विकास में सहायता मिल सके । जिस कारण देश विकास क्षेत्र की ओर जा सके । औद्योगिक का जितना प्रयोग किया जाता है उसमें से श्रमिको की संख्‍या का अधिक रोजगार का उपलब्‍ध कराना । 



3  कृषि में बहु फसलों का उत्‍पादन  -

भारत में ज्‍यादातर लोग कृषि पर निर्भर होते है इस कारण से उसमें बहुत लोग बेरोजगार होते है । इस कारण से शासन को एक ही ऋतु में एक अधिक फसलों को उगा सकते है जिससे की श्रमिकों को समय समय पर काम मिलता रहे । कृषि‍ में लगने वाले यंत्रों का प्रयोग कम करे जिससे की रोजगार उपलब्‍ध होता रहे । बहु कार्यक्रम विकास कार्य किये जाऐ और उन्‍न किस्‍म के बीज  सिचाई आदि को बढावा देना जिससे अच्‍छा पैदा वार हो सके ।   

4 जनसंख्‍या में हो वृद्धि को नियंत्रण -

शासन द्वारा चलाई योजनाओं को पूर्ण रूप से संचालित करे जिससे की जनसंख्‍या में नियंंत्रण किया जा सकता है और सरकार को नई योजनाओ को जनहित में लाना जिससे की लागे को उसके बारे जानकारी दी जानी चाहिए ।

5 ग्रामीण में रोजगार उपलब्‍ध करना  

 भारत में ग्रामीण रोजगार के विकास के नये- नये कार्यक्रम ,जवाहर रोजगार योजना आदि चलाये गये है और गॉव के विकास को इन कार्यक्रमों का आधार लेकर गॉव रह रहे लोग को रोजगार उपलब्‍ध कराना जिससे बेरोजगारी खत्‍म किया जा सके ।