शुक्रवार, 17 मार्च 2023

upyogita kise kahate hain

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 upyogita kise kahate hain



उपयोगिता क्‍या है और उपयोंगिता के प्रकार 

upyogita kya hai

अर्थशास्‍त्र में उपयोंगिता  को वस्‍तु के उस गुण को कहते है जो मनुष्‍य के किसी न किसी प्रकार की इच्‍छा की पूर्ति करती हो । उपयोंगिता मनुष्‍य के इच्‍छाओं की पूर्ति करती है उसे उपयोंगिता कहते है उपयोगिता को इस प्रकार से समझते है जैैसे किसी वस्‍तु की जरूरत कीसी व्‍यक्ति को है वह वस्‍तु  उस व्‍यक्ति की उपयोंगिता कहलाता है । 
किसी वस्‍तु की वह क्षमता होती जो व्‍यक्ति की आवश्‍यकता को पूरी करती है उसे उपयोगिता  कहते है ।
चाहे वह वस्‍तु लाभदायक हो या हानिकारण । जैसे कोई व्‍यक्ति शराब पीता है तो उसके लिए शराब की आवश्‍यकता पूरी होती है उसे उपयोगिता कहेंगे। 
 

 उपयोगिता की परिभाषा दीजिए

प्रो. मार्शल के अनुसार - किसी समय किसी मनुष्‍य केेलिए किसी वस्‍तु की उपयोगिता उस सीमा से मापी जाती है, जिस सीमा तक वह वस्‍तु उस मनुष्‍य कीीआवश्‍यकता को सन्‍तुष्‍ट करती है।

प्रो. जॉन रोबिन्‍सन के अनुसार -उपयोगिता वस्‍तु की वह शक्ति या गुण है जिसके कारण व्‍यक्ति अपने अनुसार उसे खरीदना चाहता है। तो यह दर्शाता है कि उसमें उपयोगिता इसलिए वह वस्‍तु को खरीदना चाहता है।

उपयोगिता का माप संभव है

1- गणनावाचक दृष्टिकोण 
        इस दृष्टिकोण में प्रो. मार्शल का मनना है कि उपयोगिता को मापा जा सकता है गणनावाचक दृष्टिकोण से संख्‍यात्‍मक रूप में मापा जा सकता है जैसे  1,2,3,4,5,5,6,7,8,9, ............आदि  
 उदाहरण - यदि रवि एक कुर्सी खरीदने के लिए 60 रू खर्च करने के लिए तैयार है, तो रवि के लिए कुर्सी की उपयोगिता 60 यूटिल्‍स के बराबर हुई। 

2- क्रमवाचक दृष्टिकोण 
    प्रो. हिक्‍स , पेरेटों,ऐलन आदि अर्थशास्त्रियों द्वारा बताया गया की गणनावाचक द्वारा उपयोंगिता की माप करना संभव नही है । उपयोगिता की मापने का सही माप उपयोगिता की तुलना करके उन्‍हे क्रम के स्‍थान पर रखकर माप किया जा सकता है   ।

उपयोगिता कितने प्रकार की है?

उपयोगिता के 4 प्रकार क्या हैं?


कुल उपयोगिता क्या है

1- कुल उपयोगिता - 
 उपभोक्‍ता द्वारा किसी वस्‍तु की उपभोग की गई सभी इकाईयों से प्राप्‍त उपयोगिताओं का योग की कुल उपयोगिता कहते है ।
 इसकी गणना निम्‍न सूत्रों से किया जा सकती है 
    कुल उपयोगिता =  उपभोग की गई समस्‍त इकाई

सीमांत उपयोगिता क्या है


 2- सीमान्‍त उपयोंगिता 
    एक अधिक इकाई का उपभोग में बढाने पर जो कुल उपयोंगिता में होने वाले परिवर्तन को ही सीमान्‍त उपयोगिता कहते है ।
    सूत्र - 
    सीमान्‍त उपयोगिता = कुल उपयोंगिता में परिवर्तन 
                                    उपभोग की गई इकाइयों में परिवर्तन 



उपयोगिता की विशेषताएं          

1- उपयोगिता एक आत्‍मनिष्‍ठ धारणा है - उपयोगिता किसी वस्‍तु विशेष का स्‍वयं का गुण नहीं होता है वह उपभोक्‍ता के गुणों पर निर्भर करता है। जैसे किसी व्‍यक्ति को लाल टी-शर्ट पहन कर अधिक संतुष्टि महसूस करता है, लेकित वही लाल टी-शर्ट दूसरे के बिल्‍कुल अच्‍छा नहीं लगता हैै।
2 उपयोगिता को लाभदायकता के साथ मानी नहीं किया जा सकता - उपयोगिता तथा लाभ दोनों अलग-अलग है जैसे किसी व्‍यक्ति को बीडी पीना लाभदायक हो सकता है लेकिन दूसरे व्‍यक्ति को बिल्‍कुल पसंद नही होता है। 
3- उपयोगिता का नैतिकता से कोई सम्‍बंध नही होता है- बहुत वस्‍तु ऐसे होती है जो सामाजिक और कानूनी तौर पर गलत । जैसे हिन्‍दूस्‍तान में शराब और सिगरिट का उपयोग करना गलता होता है लेकिन इसकी उपभोग करने वाले को उपयोगिता मिलता हैै। 
4 - वस्‍तु और उपयोग कर्ता के सम्‍बन्‍धों पर निर्भर करती है अथवा अमूर्त होती है - सभी व्‍यक्ति को समान समय पर वस्‍तु की उपयोगिता अलग- अलग होती है जैसे चाय एक व्‍यक्ति के लिए उपयोगी हो सकती है परन्‍तु कुछ व्‍यक्ति ऐसे होते है जो चाय के आदि नही होते है तो उनके लिए उपयोगी नही होती है ।



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